चंडीगढ़। पिछले करीब चार दशक में पहली बार कद्दावर जाट नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल (1989-91) के परिवार के राजनीतिक भविष्य पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं क्योंकि हरियाणा की राजनीति में परिवार की दो पीढ़ियों में उनकी विरासत को लेकर जंग छिड़ गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान होगा और विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होने की संभावना है, लेकिन देवीलाल के ज्येष्ठ पुत्र ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में बिखराव देखा जा रहा है।
ओमप्रकाश चौटाला और उनके छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला एक तरफ हैं और उनका इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पर नियंत्रण है, जबकि उनके ज्येष्ठ पुत्र अजय सिंह चौटाला, उनकी पत्नी नैना चौटाला और दो पुत्र-हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला और उभरते हुए युवा नेता दिग्विजय चौटाला ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का गठन किया है।
छह महीने पहले तक इनेलो प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी थी और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को गंभीर चुनौती दे रही थी।
चौटाला परिवार में फूट नवंबर 2018 में खुलकर सामने आ गई है और पार्टी दो धरों में बंट गई।
जींद में 28 जनवरी को हुआ विधानसभा उपचुनाव इनेलो और नवगठित जेजेपी की पहली परीक्षा थी। उप चुनाव में जेजेपी के दिग्विजय चौटाला ने भाजपा को कड़ी शिकस्त देते हुए दूसरे नंबर पर ला दिया जबकि इनेलो की जमानत भी जब्त हो
गई।
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