चंडीगढ़। विविधता भारतमाता की सुन्दरता है, उसका श्रृंगार व आभूषण है। इसमें भाषा, बोली, खानपान, वेषभूषा आदि सब विविधताएं शामिल हैं। ये सब विविधताएं हमारी संस्कृति की चुनरी में सितारों की तरह चमकती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ये उद्गार आज हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने पंजाब विश्वविद्यालय में लोसर (नववर्ष) एवं आधुनिक लद्दाख के आर्किटेक्ट कहे जाने वाले 19वें कुशोक बकुला रिनपोछे की 100वीं जयंती समारोह में अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। समारोह का आयोजन लद्दाख विद्यार्थी परिषद द्वारा किया गया था। राज्यपाल ने कुशोक बकुला रिनपोछे के जीवन पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया।
प्रो. सोलंकी ने कहा कि लद्दाख के विद्यार्थियों से खचाखच भरे इस ऑडिटोयिम को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि लद्दाख का युवा इतनी बड़ी संख्या में राष्ट्र की शक्ति बन रहा है। उन्होंने कहा कि 19वें कुशोक बकुला रिनपोछे भी लद्दाख को इसी प्रकार शिक्षित देखना चाहते थे। ये युवा उनके सपनों को साकर करते हुए लद्दाख ही नहीं भारत की प्रगति में बड़ा योगदान करेंगे। उन्होंने कहा कि कुशोक बकुला रिनपोछे एक राजनेता से भी बहुत आगे बढक़र एक स्टेटसमैन थे जो केवल पांच साल की नहीं आने वाली पीढियों के लिए सोचता है। राज्यपाल ने खुशी व्यक्त की कि कुशोक बकुला रिनपोछे की 100वीं जयंती मनाने के लिए देशभर में एक सौ कार्यक्रम आयोजित करने के लिए एक समिति बनाई गई है।
इससे पहले पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरूण ग्रोवर ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय लद्दाख के विद्यार्थियों के लिए भारत का प्रवेशद्वार है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय अन्य सब प्रदेशों और विदेशों के विद्यार्थियों को भी विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष पंजाब विश्वविद्यालय की भी 100वीं जयंती मनाई जाएगी और उसमें प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जाएगा।
लद्दाख विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष पुंचुग स्ताब्गल ने परिषद के कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया और उपाध्यक्ष स्टेंजिल एंगन्यु ने सब अतिथियों का स्वागत किया। विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर संत वेनु भिक्षु संघसेना, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपति डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, लद्दाख विद्यार्थी परिषद् के संस्थापक सदस्य सेरिंग नामग्याल, राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टेंजिन दावा आदि उपस्थित थे।
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