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हरियाणा सरकार की दूरदर्शिता और पंचकूला पुलिस की संवेदनशीलता से नशामुक्ति बना जनआंदोलन : शत्रुजीत कपूर

De-addiction became a mass movement due to the farsightedness of the Haryana Government and the sensitivity of the Panchkula Police: Shatrujeet Kapoor - Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस की पंचकूला यूनिट द्वारा शुरू की गई नशामुक्ति पहल अब एक मिसाल बन चुकी है। दिसंबर 2024 में हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन में हरियाणा पुलिस द्वारा शुरू हुए इस कार्यक्रम का उद्देश्य नशे के शिकार व्यक्तियों को चिकित्सीय सहयोग और परामर्श देकर पुनर्वासित करना रहा। इस मिशन ने पुलिस की भूमिका को कानून प्रवर्तन से आगे बढ़ाते हुए समाज सुधारक के रूप में प्रस्तुत किया है।
‘मेरा गांव, मेरी शान’ के तहत ग्राम-आधारित मॉडल

इस पहल को स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एक समुदाय-आधारित अभियान के रूप में संचालित किया गया। इसमें ‘मेरा गांव, मेरी शान‘ मॉडल को अपनाया गया, जिसके तहत विभिन्न गांवों और वार्डों में सक्रियता से नशे के शिकार लोगों की पहचान कर उन्हें इलाज हेतु प्रेरित किया गया। इसके अंतर्गत माताओं, बहनों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्थानीय पंचायती प्रतिनिधियों को जोड़ते हुए व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से शिविरों की जानकारी, उपलब्ध चिकित्सीय सुविधाएं और परामर्श सेवाएं सांझा की गईं।

चुनौतियों का समाधान, संवेदनशीलता के साथ

अभियान के आरंभ में नागरिकों में संकोच की भावना देखी गई। वर्दी में बात करने से लोग दूरी बना लेते थे, अतः पुलिसकर्मी नशे के शिकार लोगों से सादी वेशभूषा में जाकर संवाद करने लगे। पुलिसकर्मियों द्वारा सादी वेशभूषा में नशे के शिकार लोगों से संपर्क किया गया। नशे के शिकार लोगों के इलाज के लिए समय निकालने में नौकरी की चिंता व्यक्त की गई, जिसका हरियाणा पुलिस द्वारा वाहन आदि जैसी अन्य सुविधाएं देते हुए समाधान निकालने का प्रयास किया गया। गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को डॉक्टरी परामर्श व दवाएं सुलभ कराने हेतु डॉक्टरों के साथ मिलकर व्यावहारिक समाधान निकाले गए।

प्रेरणादायक कहानियाँ बनीं बदलाव की मिसाल

इस अभियान के दौरान अनेक उदाहरण सामने आए जिन्होंने पूरे समुदाय की सोच बदली। एक युवक अजय(परिवर्तित नाम), जो लंबे समय से गांजे के सेवन से असहाय स्थिति में था, पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल में इलाज के दौरान न केवल स्वस्थ हुआ, बल्कि अब वह अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। एक अन्य मामले में एक नाबालिग लड़की के पुनर्वास से न केवल उसके जीवन को दिशा मिली बल्कि 22 पेडलर्स की पहचान कर उन्हें उपचार और परामर्श के दायरे में लाया गया।

परिणाम और उपलब्धियां

इस अभियान के तहत अब तक 25 से अधिक वार्डों और कालोनियों को कवर किया गया है, 65 से अधिक नशामुक्ति शिविर लगाए गए हैं और कुल 1724 व्यक्तियों को चिकित्सीय सहयोग प्रदान किया गया है। 11 निजी एवं सरकारी अस्पतालों से साझेदारी की गई है, जिनके माध्यम से उपचार उपलब्ध कराया गया। पुनरावृत्ति दर केवल 8 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में अत्यंत सकारात्मक संकेत है। पेडलर्स की पहचान और उनसे प्राप्त सूचना के आधार पर 45 से अधिक विश्वसनीय खुफिया रिपोर्ट तैयार की गई हैं।

आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी

इस पूरे अभियान की वार्षिक लागत लगभग 10 लाख रूपये आंकी गई है, जबकि इससे प्राप्त सामाजिक और आर्थिक लाभ 6.32 करोड़ रूपये से अधिक का रहा है। इसका सीधा अर्थ यह है कि 1 रूपया खर्च करने पर लगभग 64 रूपये का लाभ समाज को मिला है। यह किसी भी सरकारी हस्तक्षेप के लिए अत्यंत प्रभावशाली लागत-लाभ अनुपात है।

हरियाणा सरकार की दूरदर्शिता और पंचकूला पुलिस की संवेदनशीलता से नशामुक्ति अभियान बना जनआंदोलनः डीजीपी शत्रुजीत कपूर

हरियाणा पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने पंचकूला पुलिस की इस अभिनव पहल की सराहना करते हुए टीम को बधाई दी और कहा कि यह अभियान पुलिसिंग के मानवीय पक्ष का उदाहरण है, जिसमें संवेदनशीलता और संकल्प दोनों एक साथ चलते हैं। पंचकूला पुलिस ने यह साबित किया है कि वर्दी सिर्फ कानून का पालन नहीं कराती, बल्कि जीवन को दिशा भी देती है। यह मॉडल राज्य सरकार की दूरदर्शी सोच, मजबूत इच्छाशक्ति और नशे के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति का प्रत्यक्ष परिणाम है। नशामुक्ति को केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा न मानकर एक सामाजिक आंदोलन के रूप में देखना, यह हरियाणा सरकार की नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है। डीजीपी ने कहा कि पंचकूला का यह मॉडल अब अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा, ताकि पूरे राज्य में नशे के खिलाफ एक सशक्त, मानवीय और परिणामदायी अभियान चलाया जा सके।

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