चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश में बढ़ रहे नशे को रोकने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में बने नशा मुक्ति केंद्रों को खुद इलाज की जरूरत है। जहां पर मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक और दवाइयों की आवश्यकता है। राजनीतिक माइलेज लेने के लिए सरकार साइक्लोथॉन पर करोडों खर्च कर रही है। अगर यही राशि नशा मुक्ति केंद्रों पर सुविधाएं देने में खर्च की जाती तो नशे की लत में पड़ चुके हजारों लोगों की जान बचाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जा चुका होता।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश में नशा तेजी से फैल रहा है। अगर सरकार चाहे तो नशा तस्करी पर लगाम लगाई जा सकती है। पर अब तक सरकार ने जो भी कदम उठाया है वह कारगर साबित नहीं हो रहा है। बड़ी मछलियां आज भी जाल से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि नशे की लत में पड़ चुके लोगों को सुधारने के नाम पर प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्रों का धंधा फल फूल रहा है। कोई भी नशा मुक्ति केंद्र मानकों पर खरा नहीं उतरता। ज्यादातर नशा मुक्ति केंद्र पंजीकृत नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में बनाए गए नशा मुक्ति केंद्र सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं वहां के हालात बदतर हैं। इसी कारण प्राइवेट नशा मुक्ति केंद्र उपचार के नाम पर चांदी कूट रहे हैं। उन्होंने कहा है कि नशों के भयंकर प्रहार से कराह रहा है। सिविल अस्पतालों में नशों को काबू करने के लिए साइट्रिक वार्डों में दवाइयां की बेहद ज्यादा कमी है तो दूसरी और प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी पर दावेदारी को पक्का करने के लिए और राजनीतिक माइलेज लेने के लिए हरियाणा में साइक्लोथन पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं।
इस साइक्लोथन प्रोजेक्ट पर जो धनराशि खर्च की जा रही है उससे सभी सिविल हॉस्पिटलों में नशा मुक्ति केंद्रों में दवाइयां और सुविधाएं प्रदान कर हजारों नशे के आदी लोगों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि हमारे प्रदेश की सरकार की यह विडंबना है कि यहां नाम कमाने के लिए ही काम किया जाता है।
नशे से मुक्ति प्राप्त करने के लिए जमीनी तौर पर कोई काम नहीं हो रहा है।
प्रदेश के नशा मुक्ति केंद्र केवल दिखावे के केंद्र बनकर रह गए है। अगर डॉक्टर के पास सुविधाएं और दवाइयां नहीं होगी तो वह मरीज का उपचार कैसे करेगा। ऐसे में सरकार को ऐसी ड्रामेबाजी छोड़कर जमीनी स्तर पर कार्य करें।
नशों के कारण युवा बर्बाद हो रहा है, घर के घर बर्बाद हो रहे हैं। जिनके घरों में कोई व्यक्ति नशे का शिकार हो जाता है उसकी तो रिश्तेदार भी मदद करना बंद कर देते हैं। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझते हुए परिवार का एक ही सहारा होता है और वह है सरकारी सुविधा जो उन्हें सिविल अस्पतालों के नशा मुक्ति केंद्र में मिलती है अगर वहां पर उन्हें ये सुविधाएं नहीं मिलती है तो फिर वह लोग कहां जाएंगे।
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