निशा शर्मा ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चंडीगढ़ । पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में टूट ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की राजनीतिक डगर मुश्किल कर दी है । इस बार, इनेलो की टिकट पर अभय सिंह चौटाला एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं । शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की सजा काट रहे ओमप्रकाश चौटाला की गैरमौजूदगी में अभय चौटाला ही पार्टी की कमान संभालते रहे हैं । चौटाला परिवार वर्ष 2005 से सत्ता से बाहर है. इस चुनाव में इनेलो का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है.पिछले चुनावों में इनेलो ने 19 सीटें जीती थीं और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नाते विपक्ष के नेता का पद भी इनेलो को ही मिला था, लेकिन परिवार में टूट के बाद हालात ऐसे बने कि अभय सिंह चौटाला को विपक्ष के नेता का पद भी खोना पड़ा था । करीब एक साल पहले इनेलो के दोफाड़ हो जाने के बाद ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने अलग से जननायक जनता पार्टी (जजपा) बना ली थी. चूंकि, अजय चौटाला अभी जेल में हैं. इसलिए जजपा की बागडोर उनके बडे़ बेटे व पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला के हाथ में रही है. दुष्यंत ने अपने छोटे भाई दिग्विजय चौटाला व मां विधायक नैना चौटाला के साथ जजपा को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया हुआ है. विधानसभा चुनावों में जजपा को दस सीटें मिली हैं ।
चूंकि,भाजपा या कांग्रेस को चुनावों में बहुमत नहीं मिला है, इसलिए जजपा आज 'किंगमेकर' की भूमिका में है. अगर जजपा ने भाजपा को समर्थन देने का निर्णय लिया तो राज्य मंत्रिमंडल में जजपा के दो-तीन विधायकों को मंत्री पद भी मिल सकते हैं. दूसरी तरफ इनेलो के लिए अपना वजूद बचाये रखना संभव नहीं रह गया है. अगर भाजपा और जजपा साथ आते हैं तो इनेलो की डगर आने वाले समय में और भी मुश्किल हो जाएगी. ।
लोकसभा चुनाव 2024: 5 बजे तक बिहार में 46.72%,J&K में 65.08% मतदान दर्ज,सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में 77.57% मतदान
त्वरित विश्लेषण - राजस्थान में 12 लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनावों में बीजेपी-कांग्रेस में क्या कांटे की टक्कर है या बीजेपी को बढ़त मिल रही है...यहां पढ़िए
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बेगूसराय से नामांकन दाखिल किया
Daily Horoscope