चंडीगढ़। हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि कम पानी व कम जोत में भी किसान को अच्छा लाभ प्राप्त करने के तरीके ईजाद करने होंगे। इसके लिए खेती व सिंचाई की नई-नई तकनीकें अपनानी होंगी, साथ ही किसानों को खेती का रिस्क कवर करने के बिंदु समझने होंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कृषि मंत्री तृतीय कृषि शिखर सम्मेलन में सुबह के सत्र में सूक्ष्म सिंचाई पंडाल में उपस्थित किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ किसान को भी अपने उत्पाद बेचने के परंपरागत तरीके छोड़ने होंगे। किसान को किसी बिचौलिये के पास जाने की जरूरत नहीं है। आज देश-प्रदेश के अनेक किसान अपने कृषि उत्पाद को ब्रांड के रूप में पहचान दिला चुके हैं। किसान को अपना प्रति एकड़ लाभ सुनिश्चित करना होगा, तभी वह भविष्य में खेती करने में सक्षम रह पाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छी आमदनी के लिए बाजार की जरूरत अनुसार कृषि उत्पाद की मार्केटिंग व पैकिंग पर अधिक ध्यान होगा, तभी वह बिचौलियों को होने वाले मोटे मुनाफे का सीधा लाभ खुद ले सकता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा का कृषि विभाग किसानों की हरसंभव मदद कर रहा है। आज प्रदेश के किसानों को कृषि रत्न अवॉर्ड दिए जा रहे हैं। किसानों को नुकसान आदि से बचाने के लिए भावान्तर योजना चलाई गई है, जिसके तहत आलू, गोभी, प्याज व टमाटर फसलों के कम दाम मिलने पर उसकी भरपाई सरकार द्वारा की जाती है। कृषि मंत्री ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन किसानों के लाभ के लिए आयोजित किया है, ताकि यहां आकर किसान नई तकनीक के बारे में जान सकें तथा अग्रणी किसानों से अनुभव साझा कर प्रेरणा ले सके।
एग्री लीडर सेमिनार के दौरान बागवानी विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. बलजीत सिंह ने बताया कि कीट साक्षरता मिशन के तहत उनके द्वारा जींद, हिसार व फतेहाबाद जिलों में किसान स्कूल चलाए जा रहे हैं, जहां किसानों को मित्र व दुश्मन कीट के बारे में जानकारी दी जाती है। इन स्कूलों में किसानों को आर्गेनिक खेती के प्रति जागरूक किया जाता है। अगर किसानों को कीटों की सही पहचान हो जाए तो उसे किसी कीटनाशक दवा के छिडक़ाव की जरूरत नहीं रहेगी। किसानों को कीट साक्षरता के तहत बताया जाता है कि अगर एक निश्चित मात्रा में कीट हैं तो उनका बिना किसी कीटनाशक दवा के छिडक़ाव से उन्हें खत्म किया जा सकता है।
किसान पौधों व फसल को इतना ताकतवर बना दें कि किसी कीटनाशक की आवश्यकता ही न रहे। नुंह जिले से आए किसान मिजहारू हसन ने सेमिनार में अपना तर्जुबा साझा करते हुए बताया कि उनके पास दो एकड़ जमीन थी, जिसमें से एक एकड़ में उन्होंने बागवानी विभाग की सहायता से नेट हाउस लगाकर खीरे की खेती की। नेट हाउस से मिले उत्पादन से 6 लाख की आमदनी हुई। इस पर कुल ढाई लाख का ही खर्चा आया था। उन्हें एक एकड़ में साढ़े तीन लाख का सीधा मुनाफा हुआ। आज उनके पास कुल तीन नेट हाउस हैं। इसके अलावा गांव के अन्य किसानों से सब्जियां खरीदकर दिल्ली के बाजार तक पहुंचाते हैं।
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