चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत कार्यरत अनुबंध और तदर्थ कर्मचारियों के सातवें वेतन आयोग के अनुरूप बढ़े हुए वेतन के लिए केंद्र सरकार से उसका हिस्सा जारी करने का अनुरोध किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीएम मनोहर लाल ने यह अनुरोध गुरुवार को यहां नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार के साथ हुई एक बैठक में किया। हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी बैठक में उपस्थित थे। डॉ. राजीव कुमार ने अद्भुत राजस्व संसाधनों के लिए राज्य सरकार को बधाई दी और कहा कि ये देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत अधिक हैं, जोकि बढ़ती अर्थव्यवस्था का स्पष्ट संकेत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 7वां वेतन आयोग लागू करने और अपने कर्मचारियों को सभी लाभ देने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। अनुबंध और तदर्थ आधार पर कार्यरत कर्मचारियों के वेतन में 14.29 प्रतिशत की बढ़ोतरी देने के बारे में राज्य सरकार की घोषणा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बढ़े वेतन का अपना अनुपात पहले से ही दे चुकी है लेकिन केंद्र का हिस्सा अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।
कई योजनाएं और कार्यक्रम ऐसे हैं जो राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त रूप से चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र को इस अनुरोध पर विचार करना चाहिए और अपने हिस्से की घोषणा करनी चाहिए।
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में अवगत कराने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोगों को इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर मिले, 30 विभागों में 380 से अधिक योजनाएं 14 अप्रैल, 2018 से सरल प्लेटफार्म पर उपलब्ध करवाई जाएंगी। इसके अलावा, तहसील कार्यालयों में सरल अंत्योदय केन्द्र स्थापित किए जाएंगे, जहां लोगों को जानकारी देने और इन योजनाओं का लाभ उठाने में उनकी सहायता करने के लिए समर्पित अधिकारी होंगे।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने तहसील स्तर पर सरल अंत्योदय केन्द्र खोलने की राज्य सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि नीति आयोग के अधिकारियों की एक टीम इस वर्ष जुलाई या अगस्त में हरियाणा का दौरा करेगी और इस तरह के केंद्रों की कार्यप्रणाली का अध्ययन करेगी ताकि इस अवधारणा को अन्य राज्यों में अपनाया जा सके । उन्होंने उस योजना की भी सराहना की, जिसके तहत विकास परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए 46 आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को एक-एक खण्ड आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गिरते भूजल स्तर को कम करने के लिए राज्य सरकार और नीति आयोग एक समयबद्ध संयुक्त कार्य योजना तैयार कर सकते हैं और इस दिशा में एक मिशन के रूप में कार्य कर सकते हैं।
डॉ.राजीव कुमार ने राज्य सरकार से उन केन्द्र प्रायोजित योजनाओं का विवरण सांझा करने के लिए कहा, जिनमें केन्द्र सरकार द्वारा केंद्रीय हिस्सा जारी नहीं किया गया है या कम हिस्सा जारी किया गया है, ताकि इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जा सके । उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नीति आयोग का इस्तेमाल केंद्र सरकार के साथ एक कड़ी के तौर पर कर सकती है।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने हरियाणा का उल्लेख कृषि क्षेत्र में देश में एक प्रमुख राज्य के रूप में किया जो अन्य राज्यों की तुलना में उच्च उत्पादकता दर बनाए रखने में सफल रहा है।
बैठक में बताया गया कि हरियाणा छोटा सा राज्य है, जिसकी जनसंख्या देश की कुल जनसंख्या का केवल 2.09 प्रतिशत है, लेकिन देश की जीडीपी में इसका 3.6 प्रतिशत योगदान है। राज्य जीडीपी विकास दर, 6.5 प्रतिशत की राष्ट्रीय विकास दर के मुकाबले 8 प्रतिशत को छू रही है। बैठक में यह भी बताया गया कि पूरा राज्य खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) है और अब राज्य सरकार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में पहला ओडीएफ+1 राज्य बनने और प्लास्टिक कचरे से मुक्त बनने का है।
इससे पहले, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने प्रदेश में कृषि परिदृश्य पर एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
बैठक में मुख्य सचिव डी.एस.ढेसी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, उपप्रधान सचिव मनदीप सिंह बराड़, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी.राघवेंद्र राव, नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार सुनीता संघी और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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