चंडीगढ़ । हरियाणा के आईएएस अफसर डॉ. अशोक खेमका के बार-बार तबादलों की कहानी 'जस्ट ट्रांसफर्ड : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ अशोक खेमका' किताब के जरिये सामने आएगी । खेमका हरियाणा के पहले ऐसे अफसर हैं, जिनके तबादलों को लेकर किताब लिखी गई है. यह किताब अगले महीने से देशभर में उपलब्ध हो जाएगी । माना जा रहा है कि खेमका पर लिखी गई यह किताब राज्य में एक नई राजनीतिक बहस को जन्म देगी । खेमका ऐसे अकेले अफसर हैं, जिन्हें हर सरकार में लगातार तबादले झेलने को मजबूर होना पड़ा है । ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हुड्डा सरकार के दौरान खेमका उस समय सुर्ख़ियों में आये थे, जब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के एक जमीन सौदे की म्यूटेशन रद्द कर दी थी । खेमका को तबादलों के जरिये दी गई यातना के
इस सफर को दिल्ली की दो पत्रकारों भवदीप कंग और नमिता काला ने किताब का रूप दिया है । किताब का प्रकाशन हॉर्पर कॉलिंस ने किया है. इस किताब में खेमका के सरकारों के साथ विवाद, उनसे कार छीन लेने, चार्जशीट करने और वाड्रा भूमि विवाद का विस्तार से उल्लेख किया गया है । यह किताब प्रशासनिक ढांचे के अंदरूनी रूप को उजागर करेगी ।
खेमका सीनियर आईएएस अधिकारी होते हुए भी इस समय राजनताओं की नजर में महत्वहीन माने जाने वाले अभिलेखागार, पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के प्रधान सचिव हैं. 'जस्ट ट्रांसफर्ड' किताब उन सवालों के जवाब देगी, जो आम लोगों, बुद्धिजीवियों और समाज के प्रबुद्ध नागरिकों की तरफ से उठाये जाते रहे हैं. कोलकोता के एक माध्यम वर्गीय परिवार के खेमका ने आईएएस में चयन से पहले कम्प्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में आईआईटी, खड़गपुर में टॉप किया था।
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