- हवा-हवाई साबित हुआ हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने का वायदा
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- प्रबंधन से जुड़े बड़े पदों के साथ ही अन्य स्टाफ की कमी से जूझ रहे चार मेडिकल कॉलेज
चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार का मेडिकल शिक्षा की ओर कोई ध्यान ही नहीं है। इसलिए प्रदेश के 04 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रबंधन से जुड़े बड़े पदों के साथ ही अन्य स्टाफ की कमी बनी हुई है। प्रदेश सरकार अपने वायदे के मुताबिक अभी तक हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलना तो दूर, निर्माण कार्य भी शुरू नहीं करवा पाई है। ऐसे में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का वायदा हवा-हवाई ही साबित हो रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि 2014 में सत्ता हासिल करने वाली भाजपा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में 10 साल बाद भी खाली हाथ ही है। रोहतक स्थित मेडिकल कॉलेज के अलावा एक भी मेडिकल कॉलेज ऐसा नहीं है, जहां संस्थान प्रबंधन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पदों पर स्थाई तैनाती की गई हो। साढ़े 5 साल से अधिक समय से अधिकतर पद खाली पड़े हैं या फिर अस्थाई चार्ज देकर काम चलाया जा रहा है।
इसके अलावा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 50 प्रतिशत तक स्टाफ कम बताया जा रहा है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि करनाल में बनाई जा रही मेडिकल यूनिवर्सिटी में अभी तक वीसी की नियुक्ति न होना सरकार की गंभीरता को दिखाता है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे। उनकी प्रैक्टिस और प्रेक्टिकल की ओर भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के वायदे के अनुसार आज तक न तो सरकारी मेडिकल कॉलेज ही खुल पाए हैं, न ही करनाल में खोली जाने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी का भवन अभी तक तैयार हुआ है। भिवानी, जींद व नारनौल में मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण तो शुरू हुआ, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इन तीन जिलों के अलावा कैथल, यमुनानगर, सिरसा में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास की सिर्फ औपचारिकता की हुई हैं।
जबकि, अन्य जिलों के लोग अभी तक प्रदेश सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं, कि उनके यहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास पत्थर कब रखा जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रेवाड़ी जिले में साल 2015 में एम्स खोलने की घोषणा के बाद आज तक सिर्फ शिलान्यास ही हुआ है। इससे साफ है कि राज्य सरकार प्रदेश में न तो सरकारी मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है और न ही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के प्रति गंभीर है।
प्रदेश सरकार सिर्फ दावों व वादों के बीच जनता को सपने दिखा रही है, उन्हें हकीकत में बदलने का उसके पास कोई प्लान नहीं है। अस्पतालों में चल रही डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए हरियाणा सरकार ने 2025 तक हर जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने का वायदा किया था।
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