भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि शिअद कुछ समय से
भाजपा के विरुद्ध राजनीति करता आया है। नागरिकता संशोधन बिल पर शिअद ने
उल्टी-सीधी बयानबाजी कर भाजपा हाईकमान को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की
थी। श्रीअकाल तख्त साहिब की तरफ से आरएसएस के खिलाफ फतवा जारी करने और
आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान की निंदा करना भी शिअद और भाजपा के बीच खटास
का एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। भाजपा के पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल
और मदन मोहन मित्तल का खुलेआम भाजपा की स्टेज से यह कहना कि पंजाब में अब
हमें अपनी सरकार बनानी होगी, इस खटास को जाहिर करता है।
भाजपा की तरफ से पंजाब में आने वाले दिनों में तीखी राजनीति करने की
तैयारी की जा रही है। बूथ स्तर पर भाजपा के कार्यकर्ताओं की कमेटियों का
गठन किया जा रहा है। अकाली दल के प्रभाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में
पार्टी के तेजतर्रार नेताओं को जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। पूर्व मंत्री
मदन मोहन मित्तल का कहना है कि पंजाब में भाजपा अब छोटे नहीं, बल्कि बड़े
भाई की भूमिका में है और शिअद को यह समझ लेना चाहिए कि मनमर्जी से सीट देने
की बातें नहीं की जा सकती। शिअद को उतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा,
जितनी भाजपा आलाकमान की तरफ से उनको दी जाएंगी।
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