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चंडीगढ़। यह एक अनोखी प्रेम कहानी है। इस प्रेम कहानी के किरदार जैसे एक-दूसरे से कह रहे हैं, 'न हम कुछ कहें, न तुम कुछ सुनो।' मतलब दोनों ही मूक-बधिर हैं, न कोई बोल सकता है और न सुन सकता है, लेकिन प्यार की भाषा तो सिर्फ आंखों से भी समझी जा सकती है। दोनों ने प्यार की इस मौन भाषा को समझा और शादी कर ली।
यह अनोखी लव स्टोरी वीरेंद्र सिंह और अंजलि की है। अर्जुन अवाॅर्डी वीरेंद्र सिंह हरियाणा में झज्जर जिले के सासरौली गांव के हैं, जबकि अंजलि महाराष्ट्र में नागपुर की रहने वाली हैं। दोनों ने शादी कर के प्यार की एक मिसाल कायम की है। अंजलि के साथ सात फेरे ले कर शादी के बंधन में बंधने वाले वीरेंद्र कुश्ती में दो बार डेफ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीत कर देश का नाम ऊंचा कर चुके हैं।
यह शादी इसलिए भी खास है कि मूक-बधिर अंजलि के माता-पिता नहीं हैं। सब जानते हुए भी वीरेंद्र सिंह ने उन्हें अपना जीवन साथी चुना है। ग्रामीणों ने सुखी दांपत्य जीवन की कामना की है। अपने गांव में गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र अखाड़े में अच्छे-अच्छों को पटखनी दे देते हैं। फेमस रेसलर सुशील कुमार को भी वे कड़ी टक्कर दे चुके हैं। अपने पिता को देख कर कुश्ती की शुरुआत करने वाले वीरेंद्र ने छोटी सी उम्र में ही अपने पैर जमा लिए थे। शुरु में अखाड़े में दूसरे पहलवान वीरेंद्र की दिव्यांगता का मजाक उड़ाते थे। लोग कहते थे, 'देखो, गूंगा भी पहलवान बनेगा।' वीरेंद्र ने हालात को समझते हुए अखाड़े में कोच के होठों की फड़कन और पहलवानों को देख कर दांव-पेच सीखे। कई अवॉर्ड अपने नाम कर चुके वीरेंद्र पर 'गूंगा पहलवान' नाम से शॉर्ट फिल्म भी बन चुकी है।
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