गुरुग्राम । हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने सभी निजी विद्यालयों को चेतावनी दी कि शिक्षा का
अधिकार अधिनियम-2009 (RTE) की धारा 29 में दिए गए प्रावधानों को गंभीरता से लें
और नियमानुसार इसे अपने-अपने स्कूल में लागू करें। ऐसा नही करने पर कोताही
बरतने वाले विद्यालय के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और ऐसे मामलों में
विद्यालय की मान्यता तक रद्द् किए जाने का प्रावधान है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वे आज गुरुग्राम
जिला के सोहना के निकट जी.डी गोयनका विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय बाल
अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर)के तत्वाधान में शिक्षा का अधिकार
अधिनियम-2009 की धारा 29 की पालना को लेकर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे
थे। इस कार्यशाला में राज्य भर से आए जिला शिक्षा अधिकारियों तथा 250 निजी
विद्यालयों के प्रमुखों ने भाग लिया। शिक्षा मंत्री ने बताया कि धारा-29
में दिए गए मानदंडो के अनुसार सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य है कि वे
एकेडमिक अथोरिटी द्वारा तैयार किये गये पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों
को पढ़ाएं। उन्होंने सभी निजी विद्यालयों का आह्वान किया कि वे अपने
स्कूलों मे इस नियम का पालन करें और इस मामले में किसी प्रकार की लापरवाही
ना बरतें। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों पर किताबों के
बढ़ते अतिरिक्त बोझ को कम करने के लिए आज की यह कार्यशाला आयोजित की गई है,
इसलिए यह जरूरी है कि सभी इस नियम के तहत दिए गए प्रावधानों को ठीक प्रकार
से समझ लें।
इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यालय प्रमुखों को शिक्षा
का अधिकार अधिनियम-2009 की धारा 29 के बारे में विस्तार से जानकारी देना
था। एनसीपीसीआर के सदस्य प्रियंक ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि
प्राइवेट स्कूल अकेडमिक अथोरिटी द्वारा तैयार किए गए नेशनल करीकुलम
फ्रेमवर्क(एनसीएफ) को अपने स्कूलों में पूरी तरह से लागू नहीं कर रहे हैं।
एनसीएफ से अभिप्राय एनसीईआरटी द्वारा बच्चों के लिए तैयार किया गया
पाठ्यक्रम होता है जो बच्चों की मानसिक स्थिति के अनुरूप ही तैयार किया
जाता है । एनसीएफ बच्चों के लर्निंग लेवल को ध्यान में रखते हुए तैयार किया
जाता है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा किए जा रहे
कमर्शियलाइजेशन प्रचलन के चलते बच्चों के स्कूल बैग का वजन बढ़ता जा रहा
है।
इससे पूर्व शिक्षा मंत्री ने गुरूग्राम स्थित राज्य शैक्षणिक
अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एससीईआरटी) में राज्य भर से आए जिला मौलिक
शिक्षा अधिकारियों व जिला शिक्षा अधिकारियों की बैठक को संबोधित किया
जिसमें उन्होंने कहा कि शिक्षा, संस्कार व संस्कृति भारत की पहचान है जो
हिंदुस्तानियों को दुनिया के सबसे अच्छे नागरिकों की श्रेणी में लाती है।
शिक्षा
मंत्री ने कहा कि आज हमारी शिक्षण प्रणाली पर सभी की निगाहें टिकी हुई है
जिसके कारण हमारी जवाबदेही भी अधिक है। उन्होंने कहा कि अब राजकीय
विद्यालयों में शिक्षा के स्तर में सुधार होने से लोग प्राइवेट स्कूलों से
अपने बच्चों का नाम कटवाकर राजकीय स्कूलों मे लिखवा रहे हैं।
उदाहरण देते
हुए बताया कि अंबाला में लगभग 900 बच्चों ने बड़े-बड़े स्कूलों से अपना नाम
कटवाकर राजकीय विद्यालय में दाखिला करवाया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस
सत्र से हम 500 बच्चों से सार्थक विद्यालय की भी शुरुआत करने जा रहे हैं
ताकि राजकीय विद्यालयों के प्रति लोगों की धारणा बदल सके। उन्होंने कहा कि
पहले के समय में लोग एक अध्यापक को बहुत ही सम्मानजनक दृष्टि से देखते थे
जिसे एक प्रकार से गांव का मुखिया समझा जाता था। गांव की हर छोटी बड़ी
गतिविधियों व समस्याओं के लिए अध्यापकों से सलाह मशवरा किया जाता था आज
हमें एक बार फिर इस बारे में आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है कि अध्यापक को
समाज में फिर से सम्मानजनक स्थिति में कैसे लाया जाए।
BREAKING..शराब घोटाला मामला: केजरीवाल को कोर्ट से राहत नहीं,1अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा
राजस्थान: कांग्रेस नेता प्रशांत बैरवा का विवादित बयान, कहा- भारत और पाकिस्तान के लोकतंत्र में कोई फर्क नहीं
मुजफ्फरनगर में पहले लगता था कर्फ्यू, अब निकल रही कांवड़ यात्रा : योगी
Daily Horoscope