चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री
मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार को डेढ़ साल से
भी कम समय में बुधवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर विधानसभा
में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ गया है।
प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने
विधानसभा के शोक संदेश के संदर्भो में किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 250
किसानों की मौत को शामिल करने की मांग की है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं सरकार को अल्पमत
में बताते हुए हुड्डा ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा बहुमत
पाने में विफल रही थी। फिर भाजपा ने उसी जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) के
समर्थन से सरकार बनाई, जिसने चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोट मांगे थे।
हुड्डा ने कहा, "मुख्यमंत्री नीरो की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जैसा कि वह
रोम के जलते समय कर रहा था। हरियाणा में भी यही हो रहा है। बल्कि स्थिति तो
इतनी खराब हो गई थी कि गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा फहराने के लिए खट्टर
पानीपत नहीं जा पाए और उन्हें किसानों के गुस्से से बचने के लिए उस दिन
पंचकूला जाना पड़ा।"
हुड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की
मांग की, जिसे स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने खारिज कर दिया। हालांकि इससे
पहले खट्टर ने मीडिया से कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सरकार के
खिलाफ लाया जा रहा अविश्वास प्रस्ताव ही गिर जाएगा।
वहीं राजनीतिक
पर्यवेक्षकों ने आईएएनएस से कहा कि ये अविश्वास प्रस्ताव जेजेपी को शर्मिदा
करने के लिए लाया जा रहा है। क्योंकि वह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के
साथ गठबंधन की अहम साझेदार है और ग्रामीण जाटों पर कें द्रित पार्टी है।
हालांकि वह अपने किसान वोट बैंक की बजाय भगवा पार्टी को सपोर्ट कर रही है।
बता दें कि किसानों के मुद्दे पर गठबंधन से बाहर नहीं निकलने के कारण
जेजेपी पर 'सत्ता से चिपके रहने' के लिए पार्टी के अंदर भी आलोचना का सामना
करना पड़ रहा है।
2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 40 सीटें
जीती थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत थी। लिहाजा जेजेपी ने
उसे अपना समर्थन दिया था।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख
गुरनाम सिंह चढूनी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास
प्रस्ताव लाना जरूरी था।
उन्होंने कहा, "राज्य के लोगों को उन
विधायकों के निवासों के सामने विरोध करना चाहिए, जो राज्य सरकार का समर्थन
कर रहे हैं। उन्हें उन नेताओं को सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार की चेतावनी
देनी चाहिए जो सरकार का समर्थन करना जारी रखते हैं।"
बता दें कि 90
सदस्यीय विधानसभा में अभी 88 सदस्य हैं क्योंकि आईएनएलडी के अभय चौटाला ने
इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस के प्रदीप चौधरी को 3 साल की सजा होने के
बाद अयोग्य ठहरा दिया गया था। अब भाजपा-जेजेपी गठबंधन के पास 50 विधायक
हैं।
--आईएएनएस
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