भिवानी। शहरी और ग्रामीण अंचल की छात्राओं की पहली पसंद आदर्श महिला महाविद्यालय भिवानी अब अपनी छात्राओं और शिक्षकों को शिक्षा व शैक्षिक गतिविधियों में और बेहतरीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ा है। इसके तहत महाविद्यालय का केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा महेन्द्रगढ़ के साथ ’स्टूडेंट एंड फैकल्टी एक्सचेंज’ प्रोग्राम के तहत करार हुआ है। इस पर महाविद्यालय की प्राचार्य रचना अरोड़ा और कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार ने हस्ताक्षर करते हुए एक-दूसरे संस्थान की भरपूर मदद का भरोसा दिलाया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस दौरान महाविद्यालय महासचिव अशोक बुवानीवाला के साथ प्राचार्य रचना अरोड़ा, वाणिज्य विभाग से नीरू चावला, डॉ. अमिता गाबा, अनीता वर्मा एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेन्द्रगढ़ से कुलपति प्रो. टंकेश्वर की ओर से प्रो-कुलपति प्रो. सुषमा यादव, कुलसचिव डॉ. सुनील गुप्ता, सहायक कुल सचिव जितेंद्र मोर व डॉ. विकास गर्ग उपस्थित रहे।
आदर्श महिला महाविद्यालय के महासचिव अशोक बुवानीवाला ने कहा कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेन्द्रगढ़ के साथ समझौता करके उन्हें बेहद खुशी हुई है। छात्राओं और अपने शिक्षकों के हित में जो भी कदम उठाए जा सकते हैं, महाविद्यालय इसके लिए सदा अग्रणी रहता है।
उन्होंने हम छात्राओं की गुणवत्तापरक व रोजगार परक शिक्षा पर तो ध्यान देते ही हैं, साथ ही शिक्षकों को अपडेट रखने के लिए समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम करते रहते हैं। जिससे उनका ज्ञान और अधिक बढ़े। क्योंकि एक व्यक्ति जीवनभर सीखता है। व्यक्ति जब शिक्षक हो तो उसका सीखना और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
महाविद्यालय प्राचार्य रचना अरोड़ा ने कहा कि आदर्श महिला महाविद्यालय ने सदा ही एक आदर्श स्थापित किया है। ग्रामीण अंचल की बेटियों की उच्च शिक्षा का यह महत्त्वपूर्ण केंद्र है। भिवानी के 100 किलोमीटर दायरे से यहां छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने आती हैं। महाविद्यालय का सुंदर परिसर, अनुभवी शिक्षक और पढ़ाई का बेहतर वातावरण यहां शैक्षणिक माहौल को और बेहतर बनाता है। साथ ही यहां आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित छात्रावास भी महाविद्यालय का गौरव बढ़ा रहा है।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्रो-कुलपति प्रो. सुषमा यादव ने भी इस करार को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि जब दो शिक्षण संस्थान मिलकर ऐसे प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हैं, तो निःसंदेश उन संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों का विकास होता है। उनका विश्वविद्यालय न केवल छात्रों का शैक्षणिक स्तर पर विकास करता है, बल्कि उन्हें दूसरी संस्कृति और संस्कारों से भी जोड़ता है। युवा पीढ़ी को संस्कारित करना किसी भी शिक्षण संस्थान का उद्देश्य होना चाहिए। उस पर यह विश्वविद्यालय खरा उतरता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने परिसर से बाहर निकलकर दूसरे परिसर में जाकर पढ़ने और पढ़ाने के लिए सकारात्मक रहना चाहिए। एक्सचेंज प्रोग्राम में भाग लेना व उससे सीखना तभी संभव हो सकता है, जब हम अपनी संस्कृति के साथ दूसरी संस्कृति में बिना किसी झिझक और सहज भाव से घुल-मिल सकें।
अनुशासन विद्यार्थी और शिक्षक दोनों के लिए जरूरी है। सीखने की सबसे पहली सीढ़ी अनुशासन ही है। जहां इसकी कमी होगी, वहां पर सीखने की गुंजाइश भी कम होगी। प्रो-कुलपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय कैंपस में आदर्श महिला महाविद्यालय की छात्राओं और शिक्षकों का स्वागत है। महाविद्यालय का इससे पहले सोनीपत की ऋषिहुड विश्वविद्यालय से भी इसी प्रकार का करार हो चुका है।
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