भिवानी। भिवानी के वैश्य महाविद्यालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति और वैश्य महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित शिक्षक दिवस पर्व को लेकर 111शिक्षकों की सेवाओं को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर जोगीवाला मंदिर के महंत वेदनाथ महाराज जी और बाबा जहर गिरी आश्रम के श्री महेंद्र डॉक्टर अशोक गिरी महाराज का सानिध्य रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. दीप्ती धर्मानी कुलपति चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी रहे बनारसी दास गुप्त के पुत्र अजय गुप्ता रहे। कार्यक्रम में स्वागत अध्यक्ष सुरेंद्र लोहिया,महाविद्यालय प्राचार्य संजय गोयल, सदाचारी शिक्षा समिति अध्यक्ष सावित्री यादव रहे।कार्यक्रम संयोजक राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता अशोक भारद्वाज रहे।
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राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर्व और शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि अजय गुप्ता और कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रोफेसर दीप्ति धर्मानी कुलपति चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी भिवानी, मुख्य वक्ता एडवोकेट शिवरतन गुप्ता, प्रसिद्ध उद्योगपति एवं वैश्य महाविद्यालय प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष सुरेश गुप्ता, पीसीसीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र लोहिया, वैश्य कॉलेज प्रबंध समिति के महा सचिव पवन बुवानी वाला, समाजसेवी प्रवीण गर्ग, वर्धमान ज्वैलर्स ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर सचिन जैन, सदाचारी शिक्षा समिति के अध्यक्ष समाजसेविका सावित्री यादव ने शिक्षकों को सम्बोधित किया और कहा कि शिक्षक का स्थान उच्च दर्जे का स्थान होता है। जिस व्यक्ति के जीवन में शिक्षक ने घर कर लिया तो वह व्यक्ति अपने आप हर परिस्थिति में रास्ता ढूंढ लेता है। इसलिए गुरु के बिना ज्ञान नहीं है, गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम करता है। जीवन में शिक्षक का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है, क्योंकि शिक्षक हर समस्या में समाधान है।
उपरोक्त सभी अतिथियों ने संबोधन में शिक्षक समुदाय की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "शिक्षक समाज के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका समर्पण और मेहनत ही राष्ट्र की प्रगति की नींव होती है।"
उन्होंने शिक्षकों की कड़ी मेहनत और उनके द्वारा समाज में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने इस अवसर पर 111 शिक्षकों को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को समर्पित 'ज्ञान दीप पुरस्कार' प्रदान कर सम्मानित किया गया यह हम सभी के लिए गर्व की बात है। यह पुरस्कार शिक्षकों की प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता को मान्यता देने का एक प्रयास है। कहा,"शिक्षक समाज की दिशा और दशा बदलने की क्षमता रखते हैं।यह सम्मान समारोह डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की महत्वपूर्ण भूमिका की कद्र करने का एक तरीका है। हमें अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करना चाहिए और उनकी प्रेरणा से शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर उन्नति की दिशा में काम करना चाहिए।"
महंत वेदनाथ महाराज ने अपने संबोधन में सभी शिक्षकों की आँखों पानी भर दिया। महंत वेदनाथ महाराज जब बोल रहे थे, तों उनकी आँखों से आंसू निकल आए। उन्होंने कहा कि आज हमारी संस्कृति संस्कार और हमारी परंपराओं को जीवित रखने के लिए शिक्षक का अहम दायित्व बनता है। आज इसमें अहम भूमिका शिक्षक निभा सकते हैं।आज जरूरी है कि हमें अपने जो पुरानी शिक्षा पद्धति को अपनाना चाहिए। नई तकनीकी के साथ-साथ हमें हमें पुरानी प्राचीन सभ्यता और हमारी परंपरा और संस्कृति को भी आगे रखना चाहिए।
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