अंबाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहाकि प्रदेश की गठबंधन सरकार किसान हितेषी होने का दावा कर रही है। प्रदेश का धान उत्पादक किसान दोहरी मार झेल रहा है तो दूसरी ओर सुंडियों के प्रकोप से कपास की फसल भी बर्बाद हो रही है। बीटी कॉटन पर 16 साल बाद भी कोई सुधार और कोई अनुसंधान तक नहीं हुआ। किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का दावा भी जुमला ही साबित हुआ। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मीडिया को जारी एक बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि इस समय प्रदेश का धान उत्पादक किसान दोहरी मार झेल रहा है। पहले उसने धान की रोपाई की, बाढ़ से उसकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। अब सरकार कह रही है कि जिन किसानों की धान की फसल बाढ़ से खराब हुई थी उन्हें दोबारा रोपाई करने पर 7000 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह मुआवजा राशि कम है, किसान को पहले ही नुकसान हो चुका है और दोबारा रोपाई करने से खर्च और बढेगा। एक ओर किसान फसल खराब होने पर 15000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा की बात करती है और जरूरत पड़ने पर सात हजार रुपए प्रति एकड़ ही मुआवजा देती है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का दावा करने वाली सरकार की यह घोषणा भी जुमला ही साबित हुई।
उन्होंने कहा कि सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, हांसी, महेंद्रगढ़ को कॉटन बैल्ट के रूप में जाना जाता था पर सुंडियों के प्रकोप से फसल बर्बाद होती चली गई। सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, ऐसे में किसान धान की ओर बढा। यह फसल भी घाटे का सौदा बनती जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को बीज, खाद और कीटनाशकों की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि फसल खराब न हो सके। आज फसलों पर अनुसंधान की बेहद जरूरत है। सरकार को किसानों की ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। किसान देश का अन्नदाता है, अगर अन्नदाता परेशान हुआ तो देश का हर व्यक्ति परेशान होगा।
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