अम्बाला। हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही। इसके तहत रोडवेज की 206 बसों का जिले में कहीं भी संचालन नहीं हो सका। रोडवेज के निजीकरण के मुददे को लेकर सरकार और रोडवेज यूनियन की वार्ता विफल रही। इसके चलते अंबाला डिपो की कोई भी बस सडक़ पर नहीं आई। जिससे अंबाला कैंट, सिटी, नारायणगढ़, बराड़ा, मुलाना सहित अन्य बस अड्डों पर हजारों यात्री बसों के इंतजार में परेशान हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश से आने वाले यात्री अपने पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल परिजनों के पास जाने के लिए बस नहीं मिलने के कारण काफी भावुक हो गए और मजबूरन चार गुना किराया देकर टैक्सी में जाने को मजबूर हो गए। इतना ही नहीं बराड़ा से चंडीगढ़ सरकारी ड्यूटी पर जाने वाले लोग भी छावनी बस अड्डे पर बसों का इंतजार करते नजर आए। यहां एक सरकारी अधिकारी का कहना था कि रोडवेज की हड़ताल के कारण उन्हें अपनी ड्यूटी निभाने में भी काफी कठिनाई हो रही है। चंडीगढ़ ड्यूटी पर जा रहे सरकारी कर्मचारी का कहना है कि रोडवेज की हड़ताल के कारण उन्हें चंडीगढ़ पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अब मजबूरी में टैक्सी को चार गुना कराया देकर चंडीगढ़ पहुंचेंगे। अपने बीमार रिश्तेदार से चंडीगढ पीजीआई मैं मिलने आई महिला का रो-रो कर बुरा हाल था। वह सरकार की गलत नीतियों को कोसते हुए कह रही थी कि बिना वजह रोडवेज कर्मचारी रोजाना हड़ताल कर देते हैं। जिससे उत्तर प्रदेश से आने वाले उन जैसे लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वही टैक्सी में बैठे अन्य यात्रियों को कहना था कि रोडवेज हड़ताल के कारण उन्हें अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए टैक्सी वालों को अधिक पैसा देना पड़ रहा है।
वही बस अड्डे पर खड़े टैक्सी चालक का कहना था कि हड़ताल की वजह से उन्हें आगे भी ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। वही कैंट बस अड्डे के बाहर सहकारी समिति की खड़ी बस के चालकों ने रोडवेज वालों पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि प्राइवेट बसें सरकार के नियमानुसार बस पास वाली महिलाओं, विकलांगों और बुजुर्गों से सरकारी नियमानुसार किराया ले रहे हैं। इतना ही नहीं वह जहां सवारी देखते हैं बस रोककर उसे बिठा लेते हैं। उनका कहना था कि रोडवेज चालक यात्रियों से दुव्र्यवहार तो करते ही हैं वही बस अड्डों पर भी बस नहीं रोकते। उन्होंने मांग की है कि रोडवेज बसों के साथ सहकारी समितियों की बसों को चलाना चाहिए, जिससे यात्रियों को सुविधाएं मिल सकें। दूसरी ओर कैंट रोडवेज बस अड्डा इंचार्ज का कहना है कि निजीकरण को लेकर सरकार और रोडवेज यूनियन के बीच चल रही वार्ता के विफल होने के कारण आज दूसरे दिन भी अंबाला डीपो से कोई भी बस नहीं चली। जिससे सरकार को लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि वह उम्मीद करते हैं कि सरकार और रोडवेज कर्मचारी यूनियन के बीच समझौता हो जाए, जिससे की आम आदमी को परेशानी नहीं हो।
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