अंबाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहाकि किसानों की आमदनी दोगुणा करने का झांसा देकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार और हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार ने प्रदेश के किसानों को और अधिक कर्जवान बना दिया है।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का इनका वायदा सिर्फ जुमला ही साबित हुआ। इसके विपरीत लगातार फसल की लागत बढऩे से किसान कर्जे में डूबता जा रहा है और किसानों पर कर्ज बढक़र 53907 करोड़ रुपये हो चुका है। सरकार केवल किसान हितेषी होने का नाटक कर रही है, किसान अपने हक के लिए सडक़ों पर था और आज भी सडक़ों पर है पर उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 2014 के मुकाबले खाद, बीज, कीटनाशक, दवाओं, डीजल, बिजली व कृषि यंत्रों के दामों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इन 9 साल में एक बार भी ऐसा मौका नहीं आया, जब फसल उगाने के लिए जरूरी संसाधन और सामान के दामों में गिरावट आई है। जिस तेजी से कृषि की लागत बढ़ी है, उस अनुपात में किसी भी फसल के दाम इन 9 सालों में नहीं बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि हर बार किसानों को सिर्फ आश्वासन ही दिया गया पर सरकार अन्नदाता के दर्द को नहीं समझ सकी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन की वापसी के समय एमएसपी गारंटी का कानून बनाने का वादा किया था। लेकिन, आज तक इस बारे भी कोई प्रक्रिया नहीं चलाई। एमएसपी गारंटी का कानून न होने के कारण किसानों को औने-पौने दामों में अपनी फसल मंडियों में बेचने को मजबूर होना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हित में जो भी घोषणाएं की थी वे सब की सब भुला दी गई है और पोर्टल-पोर्टल के खेल में किसानों को उलझाकर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को साल 2014 से अब तक कृषि क्षेत्र में बढ़ी लागत पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए, जिससे सच्चाई सामने आ जाएगी और पता चल सकेगा कि किसान घाटे में और उसके लिए खेती पूरी तरह से घाटे का सौदा बन गई है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा करते हुए साल 2014 में देश की सत्ता हासिल की थी। सत्ता के नशे में ये इतने अधिक चूर हो गए कि किसानों को ही भूल ही गए। एक बार भी इनके मुंह से स्वामीनाथन की सिफारिशों को लेकर दो शब्द तक नहीं निकले। इसके विपरीत कृषि की लागत में हर बार बढ़ोतरी होती रही।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2022 तक देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की प्रधानमंत्री की घोषणा भी जुमला ही साबित हुई। केंद्र सरकार में मौजूद कोई भी नेता आज आमदनी दोगुनी करने को लेकर बात तक करना पसंद नहीं करता जबकि, हकीकत तो यह है कि इस बारे में केंद्र सरकार ने कोई प्लान तैयार नहीं किया और न ही कभी गंभीरता से इस पर कोई काम किया है।
उन्होंने कहा कि आज किसान ही नहीं खेती से जुड़ा हर व्यक्ति हर व्यापारी बुराी तरह से परेशान है। जब अन्नदाता परेशान होता है तो देश पेट पकडक़र रोता है, किसान की अनदेखी का खामियाजा सरकार को आने वाले चुनाव में भुगतना होगा।
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