अंबाला। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को खत्म करने का बार-बार षड्यंत्र रच रही है। विश्वविद्यालयों से भर्ती के अधिकार छीने जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों की कार्यकारिणी परिषद के ऊपर ऑब्जर्वर नियुक्त करना सरासर गलत है। इस पद पर आरएसएस की पृष्ठभूमि के लोगों का चयन करने की मंशा साफ जाहिर होती है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की मंशा प्रदेश में शिक्षा का बेड़ा गर्क करने की है। इसलिए स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, तकनीकी शिक्षा, आईटीआई, पॉलिटेक्निक आदि के वर्तमान ढांचे को खत्म करने के प्रयास किया जा रहा हैं। सरकार चाहती है कि शिक्षा देने वाले संस्थानों पर आरएसएस से जुड़े लोगों का कब्जा हो जाए, ताकि वे अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर सकें। इसलिए ही विश्वविद्यालयों की कार्यकारिणी परिषद के फैसलों को पलटने के लिए हायर एजुकेशन विभाग ने ऑब्जर्वर तैनात किए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा ने अभी तक एक भी ऐसा कोई संस्थान 2014 में सत्ता संभालने के बाद प्रदेश में नहीं खोला, जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो। शिक्षा के किसी भी संस्थान को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी स्तर पर कोई काम नहीं किया गया। इसके विपरीत स्कूलों को बंद किया गया है, शिक्षकों के पद फ्रीज किए गए हैं। नीचे से ऊपर तक शिक्षा के पूरे सिस्टम को बर्बाद करने की योजना के तहत अब विश्वविद्यालयों को निशाने पर लिया गया है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि इससे पहले हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती का निर्णय भी लिया गया था। इसके अलावा विश्वविद्यालयों को स्वयं बजट का प्रावधान करने और सरकार द्वारा बजट की जगह लोन प्रदान करने का फरमान सुनाया गया था, जो विरोध के कारण वापस लेना पड़ा था। इसके साथ इंटर यूनिवर्सिटी तबादले और सेल्फ फाइनेंस कोर्स को बढ़ावा देने जैसे तुगलकी फरमान भी जारी किए जा चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया पुराने पैटर्न पर ही चलनी चाहिए। जिसमें सिलेक्शन कमेटी उम्मीदवारों के नंबर लगाती है और फिर विश्वविद्यालयों की कार्यकारिणी समिति बंद लिफाफों को खोलकर चयनितों पर मुहर लगाती है। अगर ऑब्जर्वर इन पर ऑब्जेक्शन लगाएगा तो इससे विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता भंग हो जाएगी। इसलिए गठबंधन सरकार को अपना तुगलकी फरमान वापस लेते हुए नियुक्त किए ऑब्जर्वर तुरंत प्रभाव से वापस बुला लेने चाहिएं।
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार का ध्यान प्रदेश के 280 सरकारी कॉलेजों की ओर नहीं जाता, जहां छात्र छात्राओं को पढ़ाने के लिए प्राध्यापक नहीं है इंफ्रा स्ट्रक्चर नहीं हैं। शिक्षा की गुणवत्ता की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मौजूदा सरकार देश को विश्व गुरु बनाने की बात करती है जबकि स्कूल और कॉलेजों में गुरुओं की कमी है।
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