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नीति नीयत सब नापाक, फिर भी कहिए पाकिस्तान ?

All the policies and intentions are evil, still you say Pakistan? - Ambala News in Hindi

स्वतंत्रता पूर्व 1941 में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कराई गयी भारत की जनगणना के अनुसार अविभाजित भारत की कुल जनसंख्या लगभग 39-40 करोड़ थी। जिसमें मुस्लिम आबादी लगभग 24-25% थी । इस आधार पर अविभाजित भारत में मुस्लिम जनसंख्या लगभग 9.5 से 10 करोड़ के आसपास थी। 1947 के विभाजन के समय भारत की कुल मुस्लिम आबादी का लगभग 35-40% हिस्सा पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (1971 के बाद का बांग्लादेश ) चला गया। जिन भारतीय राज्यों के अधिकांश मुस्लिम भारत छोड़कर गए उनमें ख़ासतौर से पंजाब, सिंध, और उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत जैसे क्षेत्रों के मुस्लिम शामिल थे। पूर्वी बंगाल या पूर्वी पाकिस्तान में पहले से ही मुस्लिम बहुसंख्यक थे, इसलिए वहां अपेक्षाकृत कम प्रवास हुआ। विभाजन के समय मुस्लिम आबादी का लगभग 60-65% हिस्सा भारत में ही रह गया। भारत में ही रहने का फ़ैसला करने वाले अधिकांश मुस्लिम ख़ास तौर से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश व कई दक्षिणी राज्यों के थे। पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के समय जो प्रक्रिया अपनाये गयी वह अत्यंत हिंसक और अव्यवस्थित थी जिसमें सभी धर्मों के लाखों लोग मारे गये। बहरहाल, कहने को तो भारत से विभाजित होकर पाकिस्तान का गठन विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम राष्ट्र निर्माण जैसे दुःस्वप्न को लेकर किया गया था।
इसी मुहिम के अंतर्गत 1943 में उर्दू शायर असग़र सौदाई ने यह नारा लिखा था -'पाकिस्तान का मतलब क्या है, 'ला इलाहा इल्लललाह'। यह नारा हालांकि उस समय मुस्लिम लीग द्वारा अपनाया गया था परन्तु आज वहां न केवल अनेक कट्टरपंथी धार्मिक पार्टियाँ पनाह पा रहे हैं बल्कि अनेक आतंकी संगठन भी समय-समय पर इस नारे का इस्तेमाल करते हैं। परन्तु यदि हम पाकिस्तान के गठन की घोषित मंशा और इस्लामी कलमे को पाकिस्तान के नाम के साथ इस्तेमाल करने की हक़ीक़त को देखें तो हमें सब कुछ उल्टा नज़र आता है।
हक़ीक़त तो यह है कि पाकिस्तान ने अपने वजूद में आते ही सिवाय नफ़रत, हिंसा, क्षेत्रवाद, फ़िरक़ा परस्ती, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म व आतंकवाद के सिवा दुनिया को कुछ दिया ही नहीं। अन्यथा प्राकृतिक सम्पदाओं से परिपूर्ण 1971 से पहले के इस भूभाग को आज दुनिया में आर्थिक व राजनैतिक रूप से इतना कमज़ोर व अलग थलग न रहना पड़ता। पाकिस्तान की सत्ता एक तरफ़ तो पाकिस्तान का मतलब ला इलाहा इल्लललाह बताते हैं दूसरी तरफ़ इसी देश की सेना लगभग 30 लाख बंगाली मुसलमानों की हत्या कर देती है।
जब पाकिस्तान ला इलाहा इल्लललाह के नारे के साथ अलग हुआ तो क्या कारण था कि बांग्लादेश का गठन यानी क्षेत्रवाद इस्लामी नारे पर भारी पड़ गया? यह आख़िर कैसा इस्लाम है तो कैसा ला इलाहा इल्लल लाह? इसी पाकिस्तान पर 40 लाख अफ़ग़ानी मुसलमानों का आरोप है। और इसी 'अल्लाह वाली ' पाकिस्तानी सेना पर दो लाख से अधिक बलूचों की हत्या का भी इलज़ाम है? आरोप तो यह भी है कि पाकिस्तानी सेना बलूच लोगों के घरों में आग लगाती है, उनके खेतों और बाग़ों को नष्ट करती है और बलोची युवाओं को अपहृत कर उनकी आंखें, दिल, और गुर्दे जैसे अंग बेच देती है। क्या यही पाकिस्तान के अस्तित्व में आने का मक़सद था ?
आज पाकिस्तान पर बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा "जातीय सफ़ाया" और "नरसंहार" करने जैसा संगीन इलज़ाम है। ज़िया उल हक़ के शासनकाल में उर्दन में 10 हज़ार फ़िलिस्तीनी एक ही रात में मारने का आरोप इसी पेशेवर पाक सेना पर है। यह कैसा इस्लामी देश है? इसी पाकिस्तान पर भारतीय कश्मीर में गत छः दशकों से आतंकवाद व अशांति फैलाने का आरोप है। भारत में जगह जगह आतंकवादी हमले कराने जैसा अमानवीय व ग़ैर इस्लामी काम पाकिस्तान करता रहा है। मस्जिदों से लेकर दरगाहों, इमामबारगाहों व धार्मिक जुलूसों पर आत्मघाती हमले करने वाले हमलावरों की पैदावार तैय्यार करने वाला पाकिस्तान जब यह कहे कि पाकिस्तान का मतलब, ला इलाहा इल्लललाह, तो इससे बढ़कर अफ़सोसनाक व शर्मनाक बात और क्या हो सकती है?
इसी नफ़रत की सियासत ने ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो को फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया। कल पाकिस्तान ने जिन तालिबानों की सरपरस्ती की थी वही आज पाकिस्तान के लिये बड़ी चुनौती बन चुके हैं। अफ़ग़ानिस्तान में भी चार लाख लोगों की हत्या का इलज़ाम पाकिस्तान पर है। कहना ग़लत नहीं होगा कि स्वयं को लाइलाहा इल्लल्लाह का झंडाबरदार बताने वाले पाकिस्तान जैसे देश ने जितने मुसलमानों की हत्या की उतनी हत्याएं किसी अन्य मुस्लिम राष्ट्र ने नहीं की। उसके बावजूद बड़ा आश्चर्य होता है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर आज भी द्विराष्ट्र सिद्धांत की बात को दोहराते हुए हिंदू और मुसलमान को जीवन के हर पहलू में भिन्न बताते हैं।
यदि हिन्दू मुसलमानों से भिन्न हैं तो बंगाली मुसलमान तो एक थे? शिया, अहमदिया, बरेलवी तो ला इलाहा इल्लललाह कहते हैं? इनके प्रति क्या व्यवहार है पाकिस्तानी सत्ता व सेना का? यदि पाकिस्तान की नीयत में खोट न होती तो 1971 जैसा ऐतिहासिक अपमान पाकिस्तानी सेना को सहन न करना पड़ता। आज दुनिया में पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद के केंद्र के रूप में हो चुकी है। उसके बाद तुर्रा यह कि भारत जैसे पड़ोसी देश को परमाणु हमले की धमकी देता रहता है। भारत में धार्मिक उन्माद फैलाने के नित्य नए हथकंडे अपनाता है। हक़ीक़त तो यह है कि भारत में हिंदू और मुसलमान उतने भिन्न नहीं हैं जितने कि पाकिस्तान में मुसलमानों के ही विभिन्न वर्ग 'ला इलाहा इल्लल अल्लाह' कहने वालों के ही दुश्मन बने हुए हैं।
यह सच है कि दक्षिणपंथी विचारधारा के दल आज सत्ता में हैं परन्तु फिर भी महात्मा गाँधी का यह देश यहाँ के बहुसंख्य हिन्दू समाज के चलते तथा भारतीय संविधान की वजह से आज भी दुनिया का सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। 1947 के पहले भी समग्र भारतीय मुसलमानों ने किसी मुसलमान को अपना नेता स्वीकार नहीं किया और आज भी यहाँ के मुसलमान देश के विभिन्न धर्मनिरपेक्ष दलों को अपना समर्थन देते हैं। मुसलमानों पर आने वाले किसी भी संकट के समय भारतीय धर्मनिरपेक्ष हिन्दू व सिख सभी उनके साथ खड़े होते हैं।
ख़ुद अटल बिहारी वाजपेयी कह चुके हैं कि भारत की धर्मनिरपेक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा जैसे संगठनों के कारण नहीं, बल्कि हिंदू समुदाय की सहिष्णु और समावेशी प्रकृति के कारण बनी हुई है। गोया वर्तमान समय में अनेक संकटों के बावजूद भारत, मुसलमानों के लिये सबसे सुरक्षित देश है। यहाँ कुछ भी हुआ हो परन्तु ऑपरेशन लाल मस्जिद जैसी घटना कभी नहीं घटी। इसलिए आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस देश की नीति और नीयत सब कुछ 'नापाक' हो फिर भी उसे 'पाकिस्तान ' कहना कितना मुनासिब होगा

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