गांधीनगर। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुजरात के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है कि अमरेली जिले में मोतियाबिंद के असफल ऑपरेशन के मामले में राज्य ने क्या कार्रवाई की है। दिसंबर के पहले सप्ताह में, अमरेली शहर के शांताबा जनरल अस्पताल में कई वरिष्ठ नागरिकों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था, तब 25 लोगों ने जलन, धुंधलापन या पूरी तरह ²ष्टिहीन होने की शिकायत की थी। उनमें से कुछ को राजकोट, भावनगर और अहमदाबाद के सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया लेकिन दूसरे ऑपरेशन के बाद भी उनकी रोशनी वापस नहीं आई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य सरकार ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसे अपने निष्कर्षों की एक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी। नाम न छापने की शर्त पर एक मरीज ने कहा, रिपोर्ट का क्या हुआ, कोई नहीं जानता। पीड़ित के परिवार के सदस्यों में से एक कांतिलाल परमार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ मामला उठाया, ऑनलाइन शिकायत दर्ज की जिसमें कहा गया कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 25 रोगियों की ²ष्टि चली गई है।
शिकायत में, उन्होंने आयोग का ध्यान संविधान के अनुच्छेद 21 की ओर आकर्षित किया, जो नागरिकों को जीवन के मौलिक अधिकार, जीवन की सुरक्षा और सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करता है, उन्होंने कहा कि डॉक्टरों या चिकित्सा कर्मचारियों की लापरवाही के कारण, वह अपनी ²ष्टि खो चुके हैं। उन्होंने मांग की कि राज्य को प्रत्येक व्यक्ति को 50 लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
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