अहमदाबाद। गुजरात में इस लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की असली परीक्षा सौराष्ट्र इलाके में होगी जहां मंगलवार को वोटिंग है। दरअसल, महज 17 महीने पहले प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके में लगे झटके की याद भाजपा की अभी गई नहीं होगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
1995 से भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भाजपा को 2012 में कुल 54 सीटों में से 35 पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को इनमें से 14 सीटें गंवानी पड़ गई, जबकि कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 16 से बढक़र 32 हो गया। दिसंबर 2017 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके में लगे झटके से भाजपा तीन दशक बाद प्रदेश में सत्ता गंवाने के करीब आ गई थी।
प्रदेश की 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 99 सीटों पर जीत मिली, जोकि बहुमत से महज सात सीट ज्यादा है, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव से 16 सीटें कम मिली। इस बदलाव की मुख्य वजहें किसानों की माली हालत, बेरोजगारी के साथ-साथ नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छोटे व मझोले स्तर के उद्योग व कारोबार पर पड़ी दोहरी मार थी।
इसके अलावा, फायरब्रांड युवा नेता हार्दिक पटेल द्वारा उनके पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर किया गया आंदोलन का सौराष्ट्र में गहरा प्रभाव देखा गया क्योंकि इलाके में पाटीदार समुदाय की बड़ी आबादी है। खास बात यह है कि हार्दिक अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
भाजपा ने इस बार सौराष्ट्र क्षेत्र में अपने चुनावी अभियान में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इलाके में सात रैलियां की हैं। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को मतदान है। प्रधानमंत्री बनने से पहले प्रदेश में लगातार तीन कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे मोदी के लिए गुजरात का चुनावी प्रदर्शन व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।
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