नई दिल्ली। साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दोषी बाबू बजरंगी को उच्चतम न्यायालय से गुरुवार को जमानत मिल गई है। उसे स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई है। बाबू बजरंगी नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी करार दिए तजाने के बाद 21 साल की सजा काट रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इससे पहले गुजरात पुलिस ने उच्चतम न्यायालय को जनवरी के आखिर में यह जानकारी दी थी कि बजरंगी कई तरह की बिमारियों से ग्रसित होने की वजह से बुरी हालत में हैं।
बजरंगी की तरफ से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि वह उनका स्वास्थ्य खराब होने के आधार पर ही जमानत का अनुरोध कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बजरंगी सौ फीसदी बधिर और दृष्टिहीन हो चुके हैं।
इसके अलावा उन्हें दिल की कई तरह की बिमारियां हैं। बजरंगी ने जमानत का अनुरोध करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय के 29 अप्रैल 2018 को दिए फैसले को चुनौती दी थी। दरअसल, पहले उच्च न्यायालय ने बजरंगी को ताउम्र जेल की सजा सुनाई थी, बाद में इसे बदल दिया गया। इस मामले में हरीश छारा और सुरेश लंगड़ा को भी दोषी करार दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में 23 जनवरी को चार दोषियों को नियमित प्रदान कर दी थी।
क्या है नरोदा पाटिया दंगा
बता दें कि साल 2002 में गुजरात के अहमदाबाद में नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार के मामले में स्पेशल कोर्ट ने भाजपा विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी सहित 32 लोगों को दोषी ठहराया था। 28 फरवरी 2002 को नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था।
27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना हुई थी। उसके अगले ही दिन दंगे की लपटों ने नरोदा पाटिया में दस्तक दी। जिसके बाद यहां नरसंहार हुआ था।
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