अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के हमले और दंगे के एक मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल (एल-जी) विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर तब तक रोक लगा दी है, जब तक कि मुकदमे की सुनवाई के लिए उनकी याचिका का निपटारा नहीं हो जाता।
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न्यायमूर्ति समीर जे दवे की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थगन आदेश जारी किया और केंद्र को 29 अगस्त के लिए एक नोटिस भी दिया। सक्सेना पर 2002 में कार्यकर्ता मेधा पाटकर पर हमला करने का आरोप है।
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान, सक्सेना का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि दिल्ली के वर्तमान एलजी के रूप में, उन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 (2) के तहत आपराधिक मुकदमे का सामना करने से छूट है।
दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की ओर से पेश वकील एजे याग्निक ने तर्क दिया कि आपराधिक कार्यवाही के खिलाफ उपलब्ध सुरक्षा एलजी को नहीं मिलती है।
इन दलीलों पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति दवे ने सक्सेना के आवेदन का निपटारा होने तक आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी। अगली सुनवाई 29 अगस्त को है।
इससे पहले मई में, अहमदाबाद की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सक्सेना के खिलाफ कार्यवाही रोकने के अनुरोध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि सरकार ने उनके खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही को निलंबित करने या वापस लेने का कोई अनुरोध नहीं किया है।
आईएएनएस
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