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गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी नगर निकाय को लगाई फटकार, पुराने पुल के रखरखाव पर उठाए सवाल

Gujarat High Court reprimanded Morbi Municipal Corporation, raised questions on maintenance of old bridge - Ahmedabad News in Hindi

अहमदाबाद । गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक नोटिस के बावजूद एक अधिकारी द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं किए जाने पर मोरबी नगर निकाय की खिंचाई की और 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए दिए गए ठेके पर सवाल उठाया। बता दें, 30 अक्टूबर को हुए मोरबी पुल हादसे में 140 से अधिक लोग मारे गए।

प्रधान न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए.जे. शास्त्री की अध्यक्षता वाली पहली पीठ ने कहा, नोटिस दिए जाने के बावजूद, मोरबी नगर पालिका ने अदालत के समक्ष प्रतिनिधित्व नहीं किया।

अदालत का विचार है कि राज्य ने गुजरात नगर पालिका अधिनियम की धारा 263 के तहत अपनी शक्ति का उपयोग क्यों नहीं किया। प्रथम ²ष्टया नगरपालिका से चूक हुई है, जिसके कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई और 135 निर्दोष व्यक्तियों की जानें गई।

कोर्ट विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है, जैसे 2008 के एमओयू या 2022 के समझौते के तहत क्या पुल की फिटनेस को प्रमाणित करने के लिए कोई शर्त रखी गई थी?, पुल को प्रमाणित करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति कौन था? क्या राज्य की उदारता अजंता कंपनी को बिना किसी निविदा के जारी की गई थी? किस आधार पर, जून 2017 के बाद अजंता द्वारा पुल को संचालित करने की अनुमति दी गई थी?, क्या गुजरात म्यूनिसिपल एक्ट की धारा 65 का अनुपालन किया गया था?

पीठ ने मौखिक रूप से कहा, राज्य ने वह कदम उठाए जो उससे अपेक्षित थे लेकिन पुल के नवीनीकरण के लिए मोरबी नगर निकाय और निजी ठेकेदार के बीच हुए समझौते पर हस्ताक्षर सिर्फ 1.5 पृष्ठों के हैं। कोई निविदा आमंत्रित नहीं की गई थी, बिना किसी निविदा को आमंत्रित किए अनुबंध क्यों दिया गया?

एक अंतरिम आदेश में अदालत ने देखा है, 16 जून, 2008 को राजकोट कलेक्टर (तब मोरबी राजकोट जिले का हिस्सा था) और एक अजंता के बीच झूला पुल के संबंध में किराए के संचालन, रखरखाव, प्रबंधन और संग्रह के लिए एक समझौता ज्ञापन निष्पादित किया गया था। यह समझौता ज्ञापन 2017 में समाप्त हो गया। यह विवादास्पद प्रश्न समझौता ज्ञापन के तहत है, यह प्रमाणित करने की जिम्मेदारी किसके पास है कि पुल उपयोग के लिए उपयुक्त है? जब एमओयू 2017 में समाप्त हो गया, तो आगे की अवधि के लिए क्या कदम उठाए गए।

पीठ ने यह भी नोट किया, 15 जून, 2017 से, 2 वर्षों की अवधि के लिए, कोई समझौता ज्ञापन सौंपे बिना, अजंता कंपनी द्वारा विचाराधीन पुल का रखरखाव जारी रखा गया था। अजंता की ओर से कलेक्टर को सूचित करते हुए पत्र लिखा गया है कि जब तक कोई समझौता नहीं हो जाता, तब तक वे पुल के जीर्णोद्धार का काम शुरू नहीं करेंगे।

पीआईएल की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

--आईएएनएस

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Web Title-Gujarat High Court reprimanded Morbi Municipal Corporation, raised questions on maintenance of old bridge
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