पणजी| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को लोगों से आग्रह किया कि वे समाज को एकजुट करने, राष्ट्र को खुशहाल व सुरक्षित रखने और भारत को 'विश्वगुरु' बनाने के लिए संघ से जुड़ें। यहां आरएसएस के स्वयंसेवकों की बैठक को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, "समाज को मजबूत करके हम देश में अच्छी चीजें होते हुए देख सकते हैं। हमें इस लक्ष्य को हासिल करने की जरूरत है। हमें आरएसएस को मजबूत करने की नहीं, बल्कि इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। अगर हम साथ मिलकर काम करें तो इतिहास में लिखा जाएगा कि देश इसलिए 'विश्वगुरु' बना, क्योंकि समाज ने नई ऊंचाइयां हासिल कीं।
कार्यक्रम में भाजपा के विधायक व पार्टी के पदाधिकारी शामिल हुए। भागवत दो जनवरी को अखिल भारतीय समन्वय बैठक के लिए गोवा पहुंचे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि आरएसएस देश और समाज को एकजुट करना चाहता है।
उन्होंने कहा, "हम सभी को एक शक्ति में जोड़ना चाहते हैं। मैं आप सभी से संघ में शामिल होने की अपील करता हूं। कोई नियम नहीं हैं। आप जब चाहें छोड़ सकते हैं, लेकिन छह महीने, एक साल या दो साल के लिए आकर संघ का अनुभव लें। संघ को अच्छी तरह से जानें, फिर अगर आपको लगता है कि मैं आज जो कह रहा हूं, वह सही है तो कार्यकर्ता बन जाइए। आपको अपना निर्णय लेने की आजादी है। लेकिन मुझे विश्वास है कि एक बार चीजों को अच्छी तरह से जान लेने के बाद आप संघ को नहीं छोड़ेंगे।"
भागवत के अनुसार, हालांकि आरएसएस पूरे भारत में प्रसिद्ध है, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हो सकते हैं जो इसके कार्यो से अनभिज्ञ हों, विशेषकर वे, जिनका सामाजिक गतिविधियों से कोई संपर्क नहीं है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "यदि हम सुखी रहना चाहते हैं, तो देश को सुखी होना होगा। यदि हमें सुरक्षित होना है, तो राष्ट्र को सुरक्षित करना होगा। इसलिए हमें 'विश्वगुरु' बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज को मजबूत करने की आवश्यकता है और यह तभी होगा, जब देश में 'परिवर्तन' होगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम देश के लिए काम करना चाहते हैं, तो हमें पहले इसके बारे में पता होना चाहिए।
भागवत ने कहा, "जब लोग मुझसे पूछते हैं कि उन्हें आरएसएस में शामिल होने से क्या मिलेगा, तो मैं कहता हूं कि उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। यहां तक कि अगर उनके पास (कुछ) है, तो यह (समाज के लिए) जाएगा। अगर वे हिम्मत करते हैं, तो आ सकते हैं। स्वार्थी लोग संघ से दूर रहें .. यह उनके लिए और हमारे लिए भी अच्छा होगा।"
उन्होंने कहा, "हम राष्ट्र को एक करना चाहते हैं। राष्ट्र की प्रगति तभी होती है, जब समाज की दृष्टि स्पष्ट होती है और समझ समृद्ध होती है। यदि आप स्वतंत्रता से लेकर अब तक के राष्ट्र की यात्रा को देखेंगे, तो पाएंगे कि राष्ट्र की प्रगति रेखा समाज के समानांतर है।"
उन्होंने अंत में कहा, "हमें राष्ट्र के लिए योगदान देना चाहिए और अपने विचारों के साथ या संघ का हिस्सा बनकर समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए। हम सभी को जाति, परंपराओं आदि के बावजूद आगे बढ़ने की जरूरत है।"
--आईएएनएस
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