वट्टीकुटि ने कहा, ‘‘2011 के अंत
में हमने केवल आठ से नौ रोबोट और बिना किसी प्रक्रिया के साथ भारतीय बाजार
में प्रवेश किया था। बाजार को लगा कि यह प्रणालियां बहुत महंगी होगी और
सर्जनों ने महसूस किया कि उन्हें इसे सीखने के लिए बहुत प्रयास करना
पड़ेगा।’’ ये भी पढ़ें - इस देवस्थान पर चट्टानें भी झुकाती हैं श्रद्धा से सिर
वट्टीकुटी ने आगे कहा, ‘‘अब, हमने देश में रोबोटिक सर्जरी
की स्थिति के साथ-साथ इसके प्रति बाजार की धारणा में भी परिवर्तन देखा है।
बहुत से चिकित्सक प्रौद्योगिकी की तरफ आकर्षित हुए हैं और इसे सीखने के
लिए आगे आए हैं।’’
यह संस्था भारत में दिसंबर तक करीब 70 रोबोटिक
प्रणालियां स्थापित करेगी तथा 7,000 से अधिक रोबोटिक सर्जरी में सहायता
करेगी और इसका उद्देश्य 2018 तक भारत में 100 से अधिक रोबोट स्थापित करने
का है। अभी तक संस्था ने 360 सर्जनों को प्रशिक्षित किया है और 2018 में
100 अन्य को प्रशिक्षित करने की तैयारी में जुटा है।
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