नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और शीला दीक्षित कैबिनेट में रहे मंत्री योगानंद शास्त्री बुधवार को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए। कांग्रेस पार्टी के लिए योगानंद शास्त्री का एनसीपी में शामिल होना एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मौजूदगी में योगानंद शास्त्री ने पार्टी का दामन थामा। हालांकि योगानंद शास्त्री ने 2020 में ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गौरतलब है कि योगानंद शास्त्री ने तीन बार दिल्ली विधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य किया है और साल 2008 से 2013 तक दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं। शास्त्री दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल रहे हैं। शीला दीक्षित की सरकार में एक बार विकास, खाद्य और नागरिक आपूर्ति के कैबिनेट मंत्री और दूसरी बार स्वास्थ्य और समाज कल्याण मंत्री रहे थे।
योगानंद शास्त्री ने दिल्ली के मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से दो बार जीत हासिल की और एक बार दिल्ली के महरौली विधानसभा सीट से विधायक बने। उसके बाद कुछ विवादों के बीच साल 2020 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था। दरअसल उन्होंने कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश में विधानसभा से ठीक पहले नेताओं पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था और जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल योगानंद शास्त्री महरौली सीट से 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी से उनको टिकट न मिलने की वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया था। हालांकि 2020 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा में एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के पास विधानसभा की 70 सीटों में से एक भी विधायक नहीं है।
फिलहाल शास्त्री एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में आ गए हैं और बुधवार को उन्होंने एनसीपी ज्वाइन कर ली। हालांकि दिल्ली कांग्रेस के एनसीपी में शामिल होने वाले योगानंद शास्त्री पहले नेता नहीं है। इससे पहले दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको भी एनसीपी में शामिल हो चुके हैं।
दूसरी और एनसीपी इसे बड़ी उपलब्धि मान रही है, पार्टी की मानें तो योगानंद शास्त्री जैसे वरिष्ठ नेता के एनसीपी में शामिल होने से दिल्ली में पार्टी को फायदा होगा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ेगा।
--आईएएनएस
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