नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के 77 साल के इतिहास में वर्ष 2018 में पहली बार ऐसा वाकया देखने को मिला, जब दो शीर्ष अधिकारियों के बीच कड़वाहट और उनके अड़ियल रवैये के कारण आपस में छिड़ी जंग से एजेंसी की प्रतिष्ठा पर आंच आई और केंद्र सरकार को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कुछ राजनीतिक रूप से संवदेनशील मामलों की जांच में संलग्न रहे। इनमें पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े मामले भी शामिल थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बैंकों की धोखाधड़ी से जुड़े उजागर हुए एक के बाद एक मामले की जांच में सीबीआई पूरे साल व्यस्त रही। इसकी शुरुआत 31 जनवरी से हुई जब मुंबई के ब्रैडी हाउस स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा में कथित तौर 2011-17 के दौरान लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग एंड फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट जारी करके बैंक को 13,500 करोड़ रुपये की चपत लगाने के मामले में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी के खिलाफ जांच शुरू हुई।
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