सीएए विरोधी इस गांधी शांति यात्रा में मुंबई से ही सिन्हा के चल रहे
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता आई. पी. सिंह ने कहा, भाजपा
इस शांति यात्रा को बीच में ही समाप्त कराने की रणनीति बनाती रह गई। हम लोग
तब तक कई राज्य पार कर आए। करनी-कथनी में अगर फर्क न हो तो किसी भी अच्छे
काम में देर नहीं लगती। न ही कोई बाधा पहुंचा सकता है। उन्होंने आगे कहा,
यह गांधी शांति यात्रा किसी एक की नहीं है, सबकी है।
भाजपा द्वारा थोपे गए
सीएए के शांतिपूर्ण विरोध का इससे बेहतर तरीका शायद यशवंत सिन्हा जैसे
वरिष्ठ और अनुभवी शख्सियत की नजर में दूसरा नहीं रहा होगा। लेकिन इस
शांतिपूर्ण गांधी शांति यात्रा के पीछे भी केंद्र की भाजपा और उप्र की योगी
सरकार पड़ी है। अब जब शनिवार यानी 25 जनवरी को यात्रा आगरा में प्रवेश के
साथ उप्र में पांव रख रही है तो भी योगी की सरकारी मशीनरी इसमें बाधा
उत्पन्न करने का षड्यंत्र रच रही होगी। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
क्योंकि यात्रा का उद्देश्य वोट बटोरना नहीं, भाजपा की देश विरोधी नीतियों
का शांतिपूर्ण विरोध करना है। यह गांधी शांति यात्रा 26 जनवरी यानी यानी
गणतंत्र दिवस के दिन रविवार को समाजवादी पार्टी के गढ़ समझे जाने वाले
इटावा के सैफई में पहुंचेगी। सैफई से सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी यात्रा में शामिल हो जाएंगे। उसके बाद यात्रा
यशवंत सिन्हा और अखिलेश यादव के दिशानिर्देशन में 27 जनवरी यानी सोमवार को
लखनऊ पहुंचेगी।
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