नई दिल्ली| केंद्रीय जल संसाधन,
नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने देश में नदी संपर्क,
बैराजों, बांधों, रबड़ के बांधों के निर्माण, ड्रिप और पाईप से सिंचाई की
आवश्यकता पर मंगलवार को बल दिया तथा बेहतर जल संरक्षण के लिए बिजली सर्किट
की तर्ज पर जल सर्किट की जरूरत को रेखांकित किया।
गडकरी ने यहां दूसरे भारत जल प्रभाव सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जल
की उपलब्धता परेशानी नहीं है, लेकिन हमें इसके प्रबंधन और संरक्षण के बारे
में सीखना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के 2022 तक किसानों की आय
दोगुना करने की योजना उचित जल प्रबंधन के बिना हासिल नहीं की जा सकती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गडकरी
ने कहा कि ड्रिप और पाईप के जरिए सिंचाई से पानी की बबार्दी कम होगी और यह
विधि किसानों के लिए किफायती होगी। उन्होंने कहा कि नदी संपर्क कार्यक्रम
से तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों
में जल की समस्या में कमी आएगी।
केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता मंत्री
उमा भारती ने कहा कि 'अविरल और निर्मल गंगा' के लक्ष्य को हासिल करने में
सरकार के कार्यक्रम के अलावा आम जन की संकल्प शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि चर्चा काफी हो गई हैं और यह समय कार्य करने तथा परिणामा
हासिल करने का है।
उमा ने कहा कि वह चाहती हैं कि स्वच्छ गंगा से संबंधित सभी परियोजनाएं अक्टूबर, 2018 तक पूरी तरह से शुरू हो जाएं।
प्रतिनिधियों
का स्वागत करते हुए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में
सचिव यू. पी. सिंह ने देश के कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में कमी पर चिंता
व्यक्त की। राष्ट्रीय जलदायी स्तर तलाश कार्यक्रम (नेशनल एक्विफर मैपिंग
प्रोग्राम) के तहत करवाए गए सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि
भू-जल स्तर कई क्षेत्रों में गंभीर रूप से निम्न स्तर पर पहुंच चुका है।
प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता भी कम हो रही है।
उन्होंने आशा
व्यक्त की कि मंथन सत्र में कुछ ठोस सुझाव और कार्य योजना सामने आएगी,
जिससे जल संसाधनों के संरक्षण एवं गंगा की स्वच्छता के लिए निश्चित रणनीति
तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र द्वारा तैयार 'विजन गंगा' शीर्षक के दृष्टि पत्र का भी विमोचन किया गया।
आईएएनएस
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