नई दिल्ली। विजय माल्या केस में वित्त मंत्रालय के अफसरों-कर्मचारियों पर सीबीआई की नजर है। माल्या को लोन के पुनर्गठन के मामले में वित्त मंत्रालय के कम से कम तीन सीनियर अधिकारियों के खिलाफ जांच कराई जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक मिड-रैंकिंग
अधिकारियों के अलावा इस मामले में शीर्ष अधिकारी और विवादित लोन के
रीकास्ट में नियुक्त किए गए एक राजनीतिक की भूमिका की जांच की जा सकती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सूत्रों के मुताबिक मिड-रैकिंग अधिकारी ने विजय माल्या और उनकी टीम से कई बार मुलाकात की थी। इसके अलावा इस अधिकारी ने बैंकों के प्रमुखों से भी मुलाकात की। कहा जा रहा है कि इस अधिकारी के सीनियर अफसर ने रीस्ट्रक्चरिंग पैकेज के लिए निजी तौर पर कई बैंकरों को फोन कॉल किए। यही नहीं इस बातचीत में कर्ज को इक्विटी में तब्दील करने की बातचीत भी शामिल थी।
इस मामले में सीबीआई पहले से ही विजय माल्या, उसके कुछ साथियों के अलावा आईडीबीआई बैंक के अधिकारियों के खिलाफ जांच कर रही है। किंगफिशर एयरलाइंस का लोन दो बार रीस्ट्रक्चर हुआ था। पहला 2009 के आम चुनावों से पहले और उसके बाद दूसरा। इसमें वित्त मंत्रालय को भी शामिल कर लिया गया। सीबीआई की जिन अधिकारियों पर नजर है, उनका कहना है कि उन्होंने किंगफिशर के बेलआउट के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं किया बल्कि सरकार की उस नीति के तहत काम किया, जिसमें 2008 के आर्थिक संकट के बाद कई कंपनियों के लोन को रीस्ट्रक्चर करने की बात थी।
एसबीआई समेत कई बैंकों का विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर 9,000 करोड़ रुपये का लोन बकाया है। वित्तीय अनियमितताओं से घिरे माल्या के देश छोड़कर ब्रिटेन जाने के बाद से ही राजनीति गरमाई हुई है।-साभारnbt
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