नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस ने मंगलवार
को उच्च न्यायालय को बताया कि रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल और गोपाल
अंसल सबूतों से छेड़छाड़ मामले में सात साल की जेल की सजा को निलंबित करने
की अपनी याचिका में अपने बुढ़ापे का फायदा नहीं उठा सकते। मामला 1997 के
उपहार सिनेमा हॉल आग त्रासदी से संबंधित है।
दिल्ली पुलिस के वकील दयान कृष्णन ने यह भी कहा कि दोनों ने मामले में
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के समक्ष सुनवाई में
देरी करने का हर संभव प्रयास किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई
के लिए 14 जनवरी की तारीख तय की और कहा कि निचली अदालत के रिकॉर्ड की प्रति
सुनवाई की अगली तारीख से पहले उसके सामने रखी जाए।
15 दिसंबर को,
उच्च न्यायालय ने सुशील अंसल (83) और गोपाल अंसल (73) द्वारा दायर याचिकाओं
पर नोटिस जारी किया था, जिसमें एक निचली अदालत को चुनौती दी गई थी, जिसने
उपहार मामले में सात साल की जेल की सजा को निलंबित करने की उनकी अंतरिम
याचिका को खारिज कर दिया था।
3 दिसंबर को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश
अनिल अंतिल ने कहा कि अंसल को राहत देने के लिए ट्रायल कोर्ट ही एकमात्र
मानदंड नहीं हो सकता है, जब वे मामले के विलंबित परीक्षण में शामिल थे।
8
नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट डॉ. पंकज
शर्मा ने सबूतों से छेड़छाड़ मामले में अंसल को सात साल कैद की सजा सुनाई
थी और दोनों पर 2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
अदालत ने अदालत के पूर्व कर्मचारियों पी.पी. बत्रा, अनूप सिंह और दिनेश चंद्र शर्मा पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
दक्षिणी
दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में 13 जून, 1997 को हिंदी
फिल्म 'बॉर्डर' की स्क्रीनिंग आधी ही हुई थी, सभी आग लग गई, जिसमें 59
लोगों की मौत हो गई थी।
--आईएएनएस
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