नई दिल्ली। आज भले ही नक्सल लिंक को लेकर ऐक्टिविस्टों की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस बीजेपी सरकार को घेर रही हो, लेकिन 2013 में यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनाया दायर कर कहा था कि शहरी केंद्रों में अकादमिक
जगत से जुड़े कुछ लोग और ऐक्टिविस्ट का लिंक माओवादियों से है। वे ह्यूमन राइट्स की आड़ में ऐसे संगठन संचालित कर रहे हैं। ये लोग जंगलों में सक्रिय माओवादी संगठन पीपल्स लिबरेशन गरिल्ला आर्मी से भी खतरनाक हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नक्सल लिंक को लेकर ऐक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर भले ही राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है, लेकिन 2013 में यूपीए सरकार की ही राय मौजूदा कांग्रेस से उलट थी। तब यूपीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनाया दायर कर कहा था कि शहरी केंद्रों में अकादमिक जगत से जुड़े कुछ लोग और ऐक्टिविस्ट ह्यूमन राइट्स की आड़ में ऐसे संगठनों को संचालित कर रहे हैं, जिनका लिंक माओवादियों से है। यही नहीं यूपीए सरकार ने इन लोगों को जंगलों में सक्रिय माओवादी संगठन पीपल्स लिबरेशन गरिल्ला आर्मी से भी खतरनाक बताया था। यूपीए सरकार ने हलफनाया दायर कर कहा था कि सीपीआई माओवादी से जुड़े हैं।
साभार-toi
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