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दिल्ली विश्वविद्यालय : मैरिट में पिछड़ने के बावजूद प्रिंसिपल दे

University of Delhi: Principal give despite falling behind in Marit - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली। मैरिट के बगैर भी अब कई छात्रों को विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिला मिल सकता है। डीयू प्रशासन ने कॉलेजों के प्रिंसिपल्स के लिए एक विशिष्ट प्रवेश कोटा को मंजूरी दी है। खाली सीटों को भरने के लिए प्रिंसिपल्स को मिला यह एडमिशन कोटा केवल इसी वर्ष के लिए मान्य होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में स्नातक पाठ्यक्रमों की कई सीटें अब भी खाली हैं। इन्ही सीटों को भरने के लिए कॉलेज प्रिंसिपल को 5 सीटों पर दाखिला का कोटा दिया गया है।


डीयू रजिस्ट्रार ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा, "कॉलेज प्रिंसिपलों व निर्वाचित कार्यकारी परिषद् सदस्यों की तरफ से इस संबंध में निवेदन किया गया था। इस संबंध में कोरोना के समय कॉलेजों को कुछ सीटें देने की संभावनाओं को टटोलने को लेकर एक समिति बनाई गई थी। जिसकी सिफारिशों पर अमल करते हुए संबंधित प्राधिकरण ने कॉलेज प्रिंसिपलों को दाखिला के लिए 5 सीट देने का फैसला लिया है।"


डीयू रजिस्ट्रार के मुताबिक इस विशेष श्रेणी में वहीं छात्र दाखिला ले सकेंगे, जिन्होंने पहले से डीयू के दाखिला पोर्टल में पंजीकरण कराया है। साथ ही फीस भरने समेत अन्य सभी आवेदन पूरे होने चाहिए। जिन 5 छात्रों को कॉलेज प्रिंसिपल कोटे से दाखिला मिलेगा, उनमें 2 छात्रों के नाम विश्वविद्यालय की तरफ से सुझाए जाएंगे। 3 नाम प्रिंसिपल द्वारा तय किए जाएंगे। प्रिंसिपल मौजूदा सत्र में ही इन 5 सीटों पर दाखिला के सकेंगे।


प्रिंसिपल कोटे से दाखिला पाने वाले छात्रों को अंतिम कटऑफ के मुकाबले 10 फीसदी तक अंक प्रतिशत की छूट मिलेगी। रजिस्ट्रार के मुताबिक यह आखिरी कटऑफ से 5 फीसदी या अधिकतम 10 फीसदी कम हो सकती है।


वहीं इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय ने अंतराष्ट्रीय स्तर के शोध एवं अनुसंधान से जुड़े पाठ्यक्रमों की एमफिल की 649 सीट और पीएचडी की 1072 सीटें छात्रों के लिए उपलब्ध कराई हैं। इस वर्ष कोरोना महामारी के बावजूद शोध एवं अनुसंधान करने वाले छात्रों के लिए सीटें बढ़ाई गई हैं। सीटों में यह इजाफा ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण हुआ है।


सभी वर्गो के शोधार्थियों की सीटों के बढ़ने से जहां दाखिला पाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है वहीं शोधार्थियों की संख्या के आधार पर कुछ विभागों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति अभी तक नहीं हो सकी है।


--आईएएनएस

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