-नीति गोपेंद्र भट्ट-नई दिल्ली
। केन्द्रीय स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद –आईसीएमआर और राष्ट्रीय रोग सूचना
विज्ञान और अनुसंधान केन्द्र-एनसीडीआईआर के स्थापना दिवस और दशक वर्ष के
शुभारंभ समारोह की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्यक्षता की।
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केन्द्रीय
स्वास्थ्य मंत्री ने गैर-संचारी रोगों से संबंधित गैर-संचारी रोगों के
जोखिम कारकों और स्वास्थ्य व्यवस्था की तैयारियों पर व्यापक राष्ट्रीय
सर्वेक्षण की रिपोर्ट तथा कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, दौरों (आघात) के लिए
टेली-मेडिसिन के उपयोग के ढांचे को जारी किया।
प्रारंभ में डॉ. हर्ष
वर्धन ने महामारी पर काबू पाने में आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के अद्वितीय
योगदान के लिए देश की ओर से उनके प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि
वर्ष 2020 कोविड के कारण हुए कष्ट और निराशा की याद दिलाता है। यद्यपि इसने
आशा का संचार भी किया, यह विज्ञान और वैज्ञानिकों का वर्ष भी था। उन्होंने
न केवल स्वदेशी जांच किट बनाकर जांच किट की कमी को दूर किया अपितु जांच
किट को विश्व में निर्यात करने की स्थिति में भी देश को लाकर खड़ा कर दिया।
आईसीएमआर विश्व में पहला ऐसा संगठन था, जिसने वायरस और इसके बदलते हुए
स्वरूप को आइसोलेट किया और सक्षम दवा लक्ष्यों की बायोरिपोजेटरी विकसित की।
भारत अब वैक्सीन बना रहा है और कई देशों को इसकी आपूर्ति कर रहा है। इनमें
से एक वैक्सीन पूरी तरह भारत में विकसित की गई है। उन्होंने कहा कि इस
उपलब्धि के लिए समूचे वैज्ञानिक समुदाय को श्रेय दिया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय
गैर-संचारी रोग निगरानी सर्वेक्षण जारी करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए
उन्होंने कहा कि यह कैंसर को भी ट्रैक करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय
कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम देश के लिए बहुमूल्य कैंसर निगरानी औजार है।
कैंसर पर काबू पाने की कार्रवाई से विश्वसनीय डेटा मॉनिटरिंग करने में
सुविधा मिलती है। इससे आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्रों में
गैर-संचारी रोगों की बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के माध्यम से असामान्य
कैंसर की स्क्रीनिंग में मदद मिलती है। उन्होंने स्वास्थ्य अनुसंधान सचिव
से बेहतर स्वास्थ्य निष्कर्ष के लिए सभी प्रकार के कैंसर की सूचना देना
अनिवार्य बनाने हेतु विधायी कार्रवाई किए जाने का पता लगाने को कहा।
केन्द्रीय
मंत्री को रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों से अवगत कराया गया। एनएनएमएस
सर्वे 2017-18 के दौरान कराया गया था। इस सर्वे का उद्देश्य राष्ट्रीय
गैर-संचारी रोग निगरानी ढांचे और राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्रवाई योजना
से संबंधित प्रमुख संकेतकों (जोखिम कारक, चयनित, गैर-संचारी रोग और
स्वास्थ्य व्यवस्था कार्रवाई) पर विश्वसनीय बेसलाइन डेटा एकत्र करना था। यह
अपनी किस्म का पहला व्यापक सर्वे है, जिसमें मानकीकृत औजार और तरीके
इस्तेमाल किए गए हैं और देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में रह रहे 15 से 69
वर्षों के आयु वर्ग की महिलाओं और पुरूषों को कवर किया गया है। सर्वे में
देश भर के 11 प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोग से 28 राज्यों में 384 जिलों
से 600 प्राथमिक सैम्पलिंग एकक के राष्ट्रीय सैम्पल को कवर किया गया है।
परिणाम
से पता चलता है कि तीन व्यस्कों में से एक और पुरूषों की एक चौथाई संख्या
से अधिक ने पिछले 12 महीनों में क्रमशः किसी प्रकार के तम्बाकू का इस्तेमाल
किया और अल्कोहल का सेवन किया, नमक की औसत दैनिक खपत आठ ग्राम थी। पांच
व्यस्कों में से दो से अधिक और चार किशोरों में से एक अपर्याप्त शारीरिक
गतिविधि कर रहे थे। चार व्यस्कों में से एक से अधिक और 6.2 प्रतिशत किशोर
का वजन अधिक था या मोटे थे। दस व्यस्कों में से लगभग तीन का बढ़ा हुआ
रक्तचाप था और 9.3 प्रतिशत का ब्लड ग्लूकोज बढ़ा हुआ था, पांच व्यस्कों में
से दो के गैर-संचारी रोगों के लिए अधिक जोखिम कारक थे। गैर-संचारी रोगों
के भार से संबंधित स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति का भी वर्णन किया गया है।
डॉ.
हर्ष वर्धन ने कहा कि यह सर्वेक्षण गैर-संचारी रोगों के जोखिम कारकों पर
बेसलाइन सूचना प्रदान करने के लिए किया गया और इस सर्वे में गैर-संचारी
रोगों की रोकथाम और प्रबंधन पर बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर फोकस करते हुए
व्यापक सुधार की आवश्यकता को उजागर किया गया।
उन्होंने भारत में
कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और आघात में टेली-मेडिसिन के उपयोग के ढांचे को
जारी करते हुए कहा कि टेली-कंसल्टेशन, टेली-मॉनिटरिंग के तत्वों के साथ
टेली-मेडिसिन से प्रमुख गैर-संचारी रोगों के देखभाल के मॉडल को विकसित किया
जा सकता है। भारत में गैर-संचारी रोगों के बढ़ते भार के लिए बहुमुखी
हस्तक्षेप की आवश्यकता है, जिससे गैर-संचारी रोगों की देखभाल और प्रबंधन के
विभिन्न पहलुओं जैसे कि रोकथाम, उपचार और पूनर्वास का समाधान निकाला जा
सकता है। टेली-मेडिसिन इन सभी पहलुओं के साथ जोड़ा जा सकता है। इसे भारत
में प्राथमिक से तृतीयक स्वास्थ्य सेवा स्तर के चिकित्सा प्रैक्टिशनर अपना
सकते हैं और उपयोग कर सकते हैं। वे राष्ट्रीय टेली-कंसल्टेशन नेटवर्क और
अन्य ऐसे प्लेटफॉर्म से यह कार्य कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे
दूर-दराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और अस्पतालों तक जाने
की रोगियों की असुविधा को न्यूनतम बनाया जा सकता है।
डॉ. हर्ष
वर्धन ने सशक्त सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करते हुए कहा कि
एम्स झज्जर उत्कृष्ट कैंसर उपचार का एक केन्द्र बन गया है। स्वास्थ्य
प्रैक्टिशनरों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच सहयोग एक आगे का रास्ता है और
वीडियो कॉन्फ्रेंस का माध्यम है, जो कि कोविड काल में सामने आया है और इसका
अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने
वक्तव्य का समापन करते हुए आगाह किया कि कुछ वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य
संगठन के सर्वेक्षण में कहा गया था कि गैर-संचारी रोगों में से 45 प्रतिशत
का कारण शारीरिक असक्रियता होती है। फिट इंडिया मूवमेंट ने इस बारे में
जागरूकता विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसे और बढ़ाए जाने
की आवश्यकता है। अधिक जिम और व्यायाम केन्द्र अस्पतालों की आवश्यकता में
कमी ला सकते हैं।
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