नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज बुधवार को यहां केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई। इसमें नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर मोहर लगा दी गई। अब इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा। इस बिल को सबसे पहले वर्ष 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संसदीय कमेटी के हवाले कर दिया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस साल की शुरुआत में ये बिल लोकसभा में पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। हालांकि लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही बिल भी खत्म हो गया। यानी अब लोकसभा (निचला सदन) और राज्यसभा (ऊपरी सदन) दोनों जगह बिल को दोबारा पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है। फिलहाल किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है।
इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 साल से लेकर 6 साल करना है। इसका मतलब है कि इन तीनों देशों के छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। सरल शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन पड़ोसी मुस्लिम बहुसंख्यक देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाना है।
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