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ज्योतिषियों की एकमत राय : रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त रात 8.25 से 9.25 तक

Unanimous opinion of astrologers: auspicious time of Rakshabandhan from 8.25 to 9.25 night on 11th August - Delhi News in Hindi

इस बार रक्षाबंधन की तिथि और नक्षत्र को लेकर अधरझूल की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि सावन की पूर्णिमा दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है। इस पर देशभर के ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा खत्म होने के बाद पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का योग, गुरुवार को ही बन रहा है। इसलिए 11 अगस्त की रात में ही राखी बांधना चाहिए। 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि 7.06 बजे तक रहेगी। कहीं-कहीं पंचांग भेद के कारण 8 बजे तक पूर्णिमा मानी जाएगी, इस कारण शुक्रवार को पूर्णिमा अधिकतम 2 घंटे ही रहेगी।

ये ही कारण है कि इस बार रक्षा बंधन 11 अगस्त को मनाना ज्यादा बेहतर है। राखी बांधने के लिए 11 अगस्त को 1 घंटे 20 मिनट का ही मुहूर्त होगा, जो रात 8.25 से 9.25 तक का रहेगा। इस पर्व पर ग्रहों की दुर्लभ स्थिति से बन रहे शुभ योगों के कारण पूरे दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी रहेगा।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 11 अगस्त, गुरुवार को आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग रहेगा। साथ ही शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे। सितारों की ऐसी दुर्लभ स्थिति पिछले 200 सालों में नहीं बनी। इस महासंयोग में किया गए रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला रहेगा।

11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि करीब 9.35 पर शुरू होगी जो अगले दिन सुबह तकरीबन 7.16 तक रहेगी। वहीं, गुरुवार को भद्रा सुबह 10.38 पर शुरू होगी और रात 8.25 पर खत्म होगी। इसलिए काशी विद्वत परिषद के साथ ही उज्जैन, हरिद्वार, पुरी और तिरुपति के विद्वानों का कहना है कि भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में, जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। इसलिए सभी ज्योतिषाचार्यों का एकमत होकर कहना है कि 11 अगस्त, गुरुवार को रात 8.25 के बाद ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए।

11 को दिन में क्यों नहीं बांधें राखी
कुछ लोगों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा पाताल में रहेगी। जिसका धरती पर अशुभ असर नहीं होगा। इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन कर सकते हैं, लेकिन विद्वत परिषद का कहना है कि किसी भी ग्रंथ या पुराण में इस बात का जिक्र नहीं है। वहीं, ऋषियों ने पूरे ही भद्रा काल के दौरान रक्षाबंधन और होलिका दहन करने को अशुभ बताया है। इसलिए भद्रा के वास पर विचार ना करते हुए इसे पूरी तरह बीत जाने पर ही राखी बांधना चाहिए। वहीं, 12 तारीख को पूर्णिमा तिथि सुबह सिर्फ 2 घंटे तक ही होगी और प्रतिपदा के साथ रहेगी। इस योग में भी रक्षाबंधन करना निषेध है।

प्रदोष काल में रक्षाबंधन शुभ
विद्वानों का कहना है कि रक्षाबंधन के समय को लेकर ग्रंथों में प्रदोष काल को सबसे अच्छा माना गया है। यानी सूर्यास्त के बाद करीब ढाई घंटे का समय बहुत ही शुभ होता है। दीपावली पर इसी काल में लक्ष्मी पूजा की जाती है। साथ ही होलिका और रावण दहन भी प्रदोष काल में करने का विधान है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया है कि इस समय किए गए काम का शुभ प्रभाव लंबे समय तक रहता है।

11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र के साथ ही गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष ग्रंथों में इस योग को खरीदारी का शुभ मुहूर्त बताया गया है। जिसमें व्हीकल, प्रॉपर्टी, ज्वेलरी, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य चीजों की खरीदारी से लंबे समय तक फायदा मिलेगा। साथ ही किसी भी नई शुरुआत के लिए ये दिन बहुत अच्छा रहेगा। इस दिन जॉब जॉइन करना, बड़े लेन-देन या निवेश करना फायदेमंद रहेगा। श्रवण नक्षत्र होने से पूरा दिन व्हीकल खरीदारी के लिए बेहद शुभ रहेगा।

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Web Title-Unanimous opinion of astrologers: auspicious time of Rakshabandhan from 8.25 to 9.25 night on 11th August
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