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यादव ने कहा कि मुझे इस ऐतिहासिक परीक्षण
का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस होता है।"
जो लोग ट्रेन में सवार थे, उनके लिए इसका सफर बेहद आरामदायक था और ट्रेन 18
भारतीय रेल नेटवर्क पर ऐसी उच्च गति को छूने वाली पहली ट्रेन बन गई।
ट्रेन ने कोटा से सुबह 9.30 बजे अपना परीक्षण शुरू किया, और कई नदियों,
पुलों और धुमावदार रास्तों पर सफर के बाद शाम छह बजे जंक्शन लौट आई।
इस ट्रेनसेट को इंजन की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि यह मेट्रो ट्रेनों
जैसे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर स्वचालित होती है।
अब इस रेलगाड़ी का लंबे सफर को लेकर परीक्षण किया जाएगा और वाणिज्यिक
संचालन के लिए रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की मंजूरी लेनी होगी। इस
मंजूरी से पहले ट्रेन की आपातकालीन ब्रेकिंग दूरी का परीक्षण भी करना पड़ता
है।
अधिकारी ने कहा कि हम एक हफ्ते में परीक्षण खत्म होने की उम्मीद कर रहे हैं
और इसके बाद हम सीआरएस मंजूरी ले लेंगे।"
हालांकि रविवार के परीक्षण के दौरान ट्रेन-18 की गति 180 किमी प्रति घंटे
तक पहुंच गई, लेकिन वाणिज्यिक परिचालन में इसे अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे
की रफ्तार से ही चलाने की अनुमति दी जाएगी।
विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ सुसज्जित, 100 करोड़ रुपये की ट्रेनसेट में
वाई-फाई, जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली, टच-फ्री बायो-वैक्यूम शौचालय, एलईडी
लाइटिंग, मोबाइल चाजिर्ंग पॉइंट्स और क्लाइमेट कंट्रोल प्रणाली जैसी
सुविधाएं दी गई हैं।
-आईएएनएस
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