मंगलवार को दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर धरने में शामिल होने आईं और बाहरी
दिल्ली में तैनात एक महिला सब-इंस्पेक्टर ने तो नाम न छापने की शर्त पर
आईएएनएस से दो टूक दिल का दर्द बयान कर डाला, मुसीबत में शागिर्दों को फंसा
देखकर भी जो सामने न आए। खुद की कुर्सी बचाने के लिए जो चोट खाए अपनों का
हाल-चाल तक पूछने अस्पताल न जाए।
महकमे की इज्जत बचाने के लिए जो मार खाने
वाले स्टाफ को ही निलंबित कर डालने वाला पुलिस कमिश्नर हमारे भला किस काम
का? यह तो दिल्ली के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर से भी कई कदम आगे निकल
गया। जो गद्दी जाने के वक्त भी अपनी जान बचाने के लिए दिल्ली में भला
कहां-कहां नहीं छिपता फिरा था। ऐसे ही अमूल्य पटनायक और उनके तमाम मातहत
आईपीएस अफसरान तीस हजारी कांड में गायब रहे। सिवाय एक अदद उत्तरी दिल्ली
जिले के एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह को छोडक़र।
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