एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि यह ‘प्रबुद्ध फैसला’ बीते साल दिल्ली नगर
निगम चुनावों में हार के बाद बुलाई गई बैठक में लिया गया। इन चुनावों में
आप 48 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही और भाजपा ने 181 सीटों पर जीत दर्ज
की। यह आप के लिए बड़ा झटका था, जिसने 2015 के विधानसभा चुनावों में 70 सीटों में से 67 पर जीत दर्ज की थी। ये भी पढ़ें - इस पेड से निकल रहा है खून, जानिए पूरी कहानी
आप
नेता ने कहा, ‘‘इससे (मोदी पर हमले) हमें कुछ हासिल नहीं हो रहा था और
इसके बजाय हमने शासन पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।’’
राजनीतिक
विश्लेषक नीरजा चौधरी सहमति जताती हैं कि यह निश्चित तौर पर केजरीवाल की
रणनीति में बदलाव है, जिससे उन्होंने मोदी पर निजी तौर पर हमला करना बंद कर
दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि आप ने मध्यम वर्ग का विश्वास खो
दिया और यदि वे दिल्ली में बने रहना चाहते हैं तो उन्हें विश्वास फिर से
हासिल करने की जरूरत है।’’
--आईएएनएस
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