नई दिल्ली । अनाज, दाल, सब्जी, फल,
समेत खाने-पीने की तमाम चीजों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी से आम आदमी की
मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य तेल आयात महंगा होने और देश में डीजल के दाम
में इजाफा होने से तमाम खाद्य सामग्री ऊंचे भाव बिकने लगी है। उधर, देश में
कोरोना का कहर दोबारा बरपने से संकट और विकट बनता जा रहा है।
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सबके खाने के तेल में मानो आग लग गई है। देश के सबसे बड़े वायदा
बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर क्रूड पाम तेल का भाव बीते एक साल में 74
फीसदी बढ़ा है। ऑयल कांप्लेक्स में सबसे सस्ता माना जाने वाला पाम तेल इस
समय सोया तेल से भी महंगा हो गया है।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल
इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के संरक्षक लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने आईएएनएस
से कहा कि, "खाद्य तेल के आयात पर शुल्क नहीं घटाए जाने की सूरत में सरसों
तेल भी 200 रुपये किलो बिकने लगेगा। खाद्य तेल ही नहीं, दाल के दाम में भी
फिर बढ़ोतरी जारी है।"
खाद्य तेल और दालों समेत आवश्यक वस्तुओं की
महंगाई को लेकर आईएएनएस के एक सवाल पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की
सचिव लीना नंदन ने कहा कि लगातार इसकी मॉनिटरिंग हो रही है और महंगाई को
काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में
दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात के कोटे जारी किए गए हैं और खाद्य
तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर
करने वाली बात यह है कि कोरोना काल के दौरान देश में खाद्यान्न समेत फलों
और सब्जियों का उत्पादन बढ़ा है। खाद्यान्नों और बागवानी फसलों का उत्पादन
रिकॉर्ड स्तर पर होने का अनुमान है। फिर भी खाने-पीने की चीजों का दाम
बढ़ने से आम गृहणियों का बजट बिगड़ गया।
सब्जियों की जहां तक बात है
तो सर्दी का मौसम बीतने के बाद गर्मी के सीजन की सब्जियों की आवक
जैसे-जैसे बढ़ रही है वैसे-वैसे कीमतों में गिरावट हो रही है, लेकिन कोरोना
के बढ़ते प्रकोप के बीच मौसम में गरमाहट से फलों की मांग तो बढ़ गई है,
लेकिन आवक बहुत कम है इसलिए फलों की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं।
हालांकि
दाल की महंगाई से राहत मिलने के आसार कम हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन
के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि दाल की मांग बढ़ गई है जबकि आयात में
आ रही मुश्किलें अभी समाप्त नहीं हुई है। दलहन विशेषज्ञ बताते हैं कि
सब्जियां जब महंगी होती हैं तो दाल की खपत बढ़ जाती है।
गेहूं की
आवक जोर पकड़ने से बाजार भाव में कमी जरूर आई है, लेकिन आटे का भाव नहीं
घटा है। दिल्ली के यमुना विहार की रहने वाली नीतू गुप्ता कहती हैं कि जो
चावल पहले 50 से 60 रुपये किलो आता था वह अब 80 रुपये किलो आ रहा है और
गेहूं का आटा जो पहले 25 रुपये किलो था वह अब 30 से 35 रुपये किलो आ रहा
है। उन्होंने कहा कि खाने-पीने की तमाम चीजें महंगी होने से रसोई का बजट
बनाना मुश्किल हो गया है।
--आईएएनएस
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