नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि मध्य प्रदेश के गुना जिले में सितंबर 2016 में एक पत्थर खदान में डूबकर जान गंवाने वाले सातों लड़कों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जायेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एनजीटी के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने मुआवजा मांग करने वाली चार याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद यह आदेश जारी किया। एनजीटी ने 25 अप्रैल को यह फैसला सुनाया है।
पीठ ने कहा है कि मुआवजे की राशि तीन माह के भीतर देनी होगी। राज्य सरकार मुआवजे की 90 प्रतिशत राशि पत्थर खदान को लीज पर लेने वाली कंपनी से वसूल कर सकती है।
जिलाधिकारियों को उचित पहचान करने के बाद अब तक दिये गये मुआवजे की राशि की कटौती करके शेष राशि मृतकों के परिजनों को देनी होगी।
जिलाधिकारी के अनुसार, मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है और उन्हें अब मुआवजे की एवज में कोई रकम देनी बाकी नहीं रह गयी है।
एनजीटी ने पाया कि उस खदान में कोई बाड़ नहीं लगायी गयी थी। जिस जगह यह हादसा हुआ, वह क्षेत्र खदान क्षेत्र में शामिल है। पत्थर खदान के मालिक को इन मौतों के लिये जिम्मेदार ठहराते हुये मुआवजे के लिये जवाबदेह ठहराया गया है।
एनजीटी ने कहा कि इसके लिये राज्य सरकार भी जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने सुरक्षा प्रक्रियाओं की जांच की अपनी जिम्मेदारी नहीं उठायी।
पत्थर खदान के मालिक यशवंत अग्रवाल ने एनजीटी को बताया कि उसने आठ अगस्त 2007 को ही यह खदान अनिल भार्गव को बेच दी थी। एनजीटी ने इस बिक्री को गैर अधिकृत और नियमों के विपरीत बताया।
--आईएएनएस
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