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देश में फैलता डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों का मकड़जाल, यहां पढ़ें

The cobweb of direct selling companies spread in the country, - Delhi News in Hindi

पंकज श्रीवास्तव नई दिल्ली । भारत में वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण को लागू करने के बाद आर्थिक बदलाव देखने को मिले, विदेशी निवेशकों और उद्यमियों के लिये भारत ने अपने दरवाज़े खोले जिससे भारतीयों में धीरे धीरे समृद्धि आने लगी, और इसी समृद्धि के कारण कुछ ऐसी देसी-विदेशी कंपनियां भी भारत में आईं जिन्होंने मार्केटिंग का एक नया जाल भारत में बुना, इन्हीं में एक नई मार्केटिंग रणनीति आई जिसका नाम एमएलएम था यानी मल्टी लेवल मार्केटिंग। इसमें उत्पादों के साथ कंपनी से जुड़े व्यक्ति को नए सदस्य बनाने होते थे और ये श्रृंखला जितनी बड़ी होने लगती थी उतना लोगों को लाभ मिलता था।
ऐसे में कुछ कंपनियां ऐसी भी आईं जिनके पास उत्पादों के नाम पर कुछ भी नहीं था लेकिन उन कंपनियों ने मल्टी लेवल मार्केटिंग रणनीति को भारतीय बाज़ार में उतारा, शुरुआत में इस तरह की मार्केटिंग को समाज के उच्च वर्ग में उतारा गया लेकिन बाद में इसने अपनी जड़ें समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों में अपनी जगह बना ली।
इसका लाभ चंद शातिर दिमाग लोगों ने उठाया और उस गरीब तबके को झांसे में लेना शुरु किया। शुरुआत में इन शातिर लोगों ने समाज के निम्न मध्यम वर्गीय लोगों में कुछ प्रभावशाली लोगों को चुना और उनसे पैसे निवेश करवाने के बाद उन्हें मुनाफ़ा भी दिया। लेकिन ये मुनाफ़ा उस समाज के बाकी लोगों को अपने जाल में फंसाने का एक तरीका था। जब इन लोगों ने एक बार समाज के इस हिस्से में अपनी पकड़ बना ली तो उसके बाद इन्होंने अपना गोरखधंधा देश के अलग अलग शहरों में अच्छे से फैलाया और एक दिन सबके पैसे लेकर चंपत हो गए।
पूरे देश में इन्होंने लाखों लोगों को हज़ारों करोड़ का चूना लगाया। सवाल ये उठता है कि लोग इनके झांसे में आए क्यों, दरअसल समाज का वो कामगार तबका जो रोज़ कमाता और रोज़ खर्च करता है, उसी पैसों में अपनी ज़रूरतें मारकर वो चंद पैसे बचाता है और इन्हीं पैसों से वो अपने बच्चों की पढ़ाई, उनकी शादी, अपने मकान और बुढ़ापे के लिये पैसे जोड़ता है। इन शातिरों ने इस तबके के इन्हीं पैसों पर अपनी निगाहें बनाईं और उन्हें धोखा दिया। इनमें से कई लोगों ने अपने बूढ़े माता पिता के इलाज के लिये पैसे जोड़े थे, इन शातिर दिमाग मक्कारों ने उन पैसों को भी नहीं बख्शा। ऐसे लोगों से न सिर्फ़ समाज को बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचता है। रातों रात ये लोग अपनी कंपनियां बंद कर कार्यालयों में ताला जड़कर विदेशों में जा बसते हैं। ऐसे लोगों से हमें और आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। आपने अपना पैसा मेहनत से कमाया है, इसकी एक एक पाई खर्च करने से पहले अच्छी तरह सोचें, जानकार लोगों से बात करें उनकी राय लें। ठंडे दिमाग से समय लगाकर फिर निवेश करें। क्योंकि आजकल बाज़ार में धोखेबाज़ी, मक्कारी, जालसाज़ी अपने चरम पर है।

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Web Title-The cobweb of direct selling companies spread in the country,
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