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शिक्षक दिवस विशेष : जानिए उन शिक्षकों के बारे में जिन्होंने भारतीय शिक्षा के एक नए युग की शुरुआत की

Teachers Day Special: Know about those teachers who started a new era of Indian education - Delhi News in Hindi

नई दिल्ली । हर साल 5 सितंबर को मनाया जाने वाला शिक्षक दिवस हमारे जीवन में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने का अवसर है, जो हमारी जिंदगी को रोशन करने वाले सूरज की तरह हैं। ये वो शिक्षक हैं जिन्होंने न केवल हमें अक्षर ज्ञान दिया बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाई।
आज के दिन हम उन महान शिक्षकों की याद करते हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में आदर्श स्थापित किए और समाज को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया। आइए इस खास अवसर पर कुछ महान शिक्षकों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने शिक्षा को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई और ज्ञान के प्रकाश से समाज को आलोकित किया।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन:

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति थे, लेकिन उन्हें इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में से एक के रूप में जाना जाता है। 1962 में, जब उनके कुछ पूर्व छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा व्यक्त की, तो उन्होंने जन्मदिन के बजाय शिक्षक दिवस मनाने का आग्रह किया था। यह उनकी विनम्रता और शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

उन्होंने केवल 21 साल की उम्र में मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की थी। डॉ. राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की सबसे कठिन अवधारणाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जो आज भी विद्वानों द्वारा अध्ययन और सम्मानित किया जाता है। उनकी शिक्षण दर्शन का सार यह था कि असली शिक्षक वे हैं जो हमें स्वयं सोचने में मदद करते हैं।

चाणक्य:

चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में से एक थे, जिन्हें चौथी शताब्दी में कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से जाना जाता था। वे एक महान दार्शनिक और न्यायविद के रूप में सम्मानित थे, उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों द्वारा सर्वोच्च सम्मान के साथ अपनाई जाती हैं। चाणक्य की दो पुस्तकें - नीतिशास्त्र यानी चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र में कई सूत्र शामिल हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। उनकी शिक्षाएं न केवल उस समय के लिए प्रासंगिक थीं, बल्कि आज भी हमारे जीवन में उपयोगी हैं।

चाणक्य की शिक्षाओं में नैतिकता, राजनीति, अर्थशास्त्र, और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण शामिल हैं। उनकी शिक्षाएं हमें जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए प्रेरित करती हैं और हमें एक अच्छे इंसान बनने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। आज भी, चाणक्य की शिक्षाएं हमारे जीवन में प्रासंगिक हैं और हमें उनके सिद्धांतों को अपनाकर एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम:


डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक महान वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे, जिन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना अमूल्य योगदान दिया। उनका मानना था कि केवल शैक्षणिक डिग्री रखने से कुछ नहीं होता, बल्कि एक छात्र को अपने व्यक्तिगत कौशल और क्षमता को निखारना चाहिए ताकि वह एक उज्ज्वल करियर और जीवन बना सके।

उनकी शिक्षा दर्शन का सार यह था कि छात्रों को सिर्फ पुस्तकों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। आज भी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक माना जाता है, जिन्होंने लाखों छात्रों को प्रेरित किया और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी शिक्षाएं और दर्शन आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

स्वामी विवेकानंद:


स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे महान शिक्षकों में से एक थे, उनकी शिक्षाएं शिक्षा, आस्था, चरित्र निर्माण और भारत से संबंधित सामाजिक मुद्दों पर दुनियाभर में मशहूर हैं। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का प्रचार किया, जिसमें स्कूल और घर एक साथ मिश्रित होते हैं और छात्रों को एक संपूर्ण शिक्षा मिलती है।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार, शिक्षा में भौतिक, शारीरिक, नैतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक जैसे जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो हर किसी को एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। स्वामी विवेकानंद की शिक्षा दर्शन का सार यह था कि शिक्षा को छात्रों के जीवन को संपूर्ण बनाने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।

स्वामी दयानंद सरस्वती:

स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान भारतीय शिक्षाविद् और आर्य समाज के संस्थापक थे, जिन्होंने भारतीय शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत की। वह संस्कृत भाषा और वैदिक विद्या के विद्वान थे और वैदिक काल के दौरान हिंदू सुधार आंदोलनों के नेता भी थे।

उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी, जो उस समय एक क्रांतिकारी विचार था। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण भी करना है। उनका उद्देश्य था कि शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण भी होना चाहिए, जिससे वे एक अच्छे इंसान बन सकें और समाज में योगदान कर सकें।

--आईएएनएस

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Web Title-Teachers Day Special: Know about those teachers who started a new era of Indian education
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