नई दिल्ली| देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 3 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे उपभोक्ता चिंतित हैं।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उनका मानना है जब इन उत्पादों पर लगने वाले करों में बार-बार
फेरबदल किया जा रहा हो तो बाजार आधारित कीमतों की अवधारणा का कोई मतलब नहीं
है। जब कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं तो देश में पेट्रोल-डीजल की
कीमतें बढ़ रही है, जबकि 2014 के मई में कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर प्रति
बैरल थी, उस वक्त अभी से सस्ता पेट्रोल मिल रहा था।
यह सच है कि
पिछले तीन महीनों में कच्चे तेल की कीमतें 45.60 रुपये प्रति बैरल से लेकर
अभी तक 18 फीसदी बढ़ी है, जिसका नतीजा है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत
65.40 रुपये से बढ़कर 70.39 रुपये तक पहुंच गई है।
यह बढ़ोतरी
कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी की तुलना में कम है। लेकिन साल 2014 के मई
में कच्चे तेल की कीमत 107 रुपये प्रति बैरल पहुंच जाने के बाद भी दिल्ली
में 1 जून 2014 को पेट्रोल की कीमत 71.51 रुपये प्रति लीटर थी और ग्राहक यह
तुलना कर रहे हैं।
एसोचैम के नोट में कहा गया, "जब कच्चे तेल की
कीमत 107 डॉलर प्रति बैरल थी, तो देश में यह 71.51 रुपये लीटर बिक रही थी।
अब जब यह घटकर 53.88 डॉलर प्रति बैरल आ गई है तो उपभोक्ता तो यह पूछेंगे ही
कि अगर बाजार से कीमतें निर्धारित होती है तो इसे 40 रुपये लीटर बिकना
चाहिए।"
इसमें कहा गया है कि हालांकि कीमतों को बाजार पर छोड़ा गया
है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए जानेवाले उत्पाद कर और
बिक्री कर या वैट में तेज बढ़ोतरी के कारण सुधार का कोई मतलब नहीं रह गया
है।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, "उपभोक्ताओं की कोई
गलती नहीं है। क्योंकि सुधार एकतरफा नहीं हो सकता। अगर कच्चे तेल के दाम
गिरते हैं तो उसका लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाना चाहिए।"
चेंबर ने
कहा कि हालांकि यह सच है कि सरकार को अवरंचना और कल्याण योजनाओं के लिए
संसाधनों की जरुरत होती है, लेकिन केंद्र और राज्यों की पेट्रोल और डीजल पर
जरुरत से ज्यादा निर्भरता आर्थिक विकास को प्रभावित करती है।
चेंबर
ने कहा, "इसका असर आर्थिक आंकड़ों पर दिख रहा है। साल-दर-साल आधार पर
अगस्त में मुद्रास्फीति की दर क्रमश: 24 फीसदी और 20 फीसदी थी। इससे ऐसे
समय में जब उद्योग को निवेश के लिए कम महंगे वित्तपोषण की जरुरत है, भारतीय
रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को घटाने की संभावनाओं पर असर पड़ता है।"
आईएएनएस
अमृतपाल मामला: पंजाब पहुंची NIA की टीम, टेकओवर कर सकती है केस
आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया ने जमानत याचिका की दायर
हंगामे के बीच लोक सभा में पास हुआ जम्मू-कश्मीर का बजट, सदन की कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित
Daily Horoscope