नई दिल्ली। काबुल हवाईअड्डे पर घातक आत्मघाती हमले के बाद तालिबान इस्लामिक स्टेट (खोरासान प्रांत) पर नकेल कस रहा है, जिसमें आठ अमेरिकी नौसैनिक और एक दर्जन से अधिक तालिबान सदस्य मारे गए थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अफगानिस्तान में रूसी राजदूत दिमित्री जिरनोव ने समाचार एजेंसी तास को बताया कि आईएसकेपी या दाएश राजनीतिक स्थान के लिए तालिबान के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है, और उनके बीच के अंतर्विरोधों को सुलझाया नहीं जा सकता है।
जिरनोव ने कहा, "जहां तक मैं जानता हूं कि तालिबान ने आज दो दाएश आतंकवादियों को पकड़ा है, जो कथित तौर पर मलेशिया के नागरिक हैं। इसलिए मैं जानता हूं कि वे दाएश के साथ सख्ती से निपटेंगे।"
रूसी राजदूत के अनुसार, आईएसकेपी ने कहा कि समूह की विश्वसनीयता और वैधता को कम करने के इरादे से काबुल हवाई अड्डे पर हमले का असली लक्ष्य अमेरिकी नहीं, बल्कि तालिबानी थे।
जिरनोव ने एक साक्षात्कार में कहा, "युद्ध अपरिवर्तनीय है। अगर वास्तव में हवाई अड्डे पर दाएश था, तो यह अमेरिका के लिए नहीं बल्कि तालिबान के लिए एक चुनौती थी। क्योंकि तालिबान ने इस समय अफगानिस्तान पर जिम्मेदारी ली है।"
रूसी राजदूत के अनुसार, आतंकवादी हमला तालिबान के लिए एक झटका था।
उन्होंने कहा, "स्वाभाविक रूप से, हवाईअड्डे के आसपास जो कुछ हो रहा है, उसके लिए उन्हें पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन (नुकसान) उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है।"
नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा, "तालिबान इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि आईएसकेपी आतंकी हमलों से संतुष्ट नहीं होगा, बल्कि अपने बड़े सपनों को पूरा करने के लिए क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश करेगा।"
(इस कंटेंट को इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत जारी किया जा रहा है)
--इंडिया नैरेटिव
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