नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार के वकील की उन दलीलों पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिनमें मांग की गई थी कि 11 जुलाई तक विधानसभा में कोई फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए। अदालत ने 16 असंतुष्ट विधायकों को अयोग्यता नोटिस पर अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए समय भी बढ़ाकर 12 जुलाई कर दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती जिससे अनावश्यक जटिलताएं पैदा हों। पीठ ने महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से कहा कि अगर कुछ भी अवैध होता है, तो वह कभी भी शीर्ष अदालत में वापस आ सकते हैं।
शिवसेना के बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हटाने का प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने दावा किया कि जिरवाल द्वारा उन्हें अयोग्यता नोटिस जारी करने से पहले यह प्रस्ताव पेश किया गया था।
शीर्ष अदालत ने डिप्टी स्पीकर द्वारा बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस पर लिखित जवाब दाखिल करने के लिए दिया गया समय बढ़ा दिया, जो शाम 5.30 बजे समाप्त होना था। अब इसे बढ़ाकर 12 जुलाई शाम 5.30 बजे तक कर दिया गया है।
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से बागी विधायकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा और राज्य सरकार ने कहा कि वह 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा के लिए तत्काल और पर्याप्त उपाय करेगी।
--आईएएनएस
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