नई दिल्ली। गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में पिछले 7 दिनों में हुई 70 बच्चों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है। ज्ञातव्य है कि बच्चों की मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी से होना बताया जा रहा है कि जबकि योगी सरकार और अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई है बल्कि अलग अलग कारणों से बच्चों की मौत हुई है। घटना के बाद राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की हर ओर आलोचना हो रही है। सीएम योगी ने भी गोरखपुर का दौरा भी किया। वहीं विपक्षी दल भी इस मामले में योगी सरकार को घेर रही हैं। हांलांकि योगी सरकार ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रिंसिपल डॉक्टर कफील निलंबित कर दिया है। वहीं गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेने से मना कर दिया है। सप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी याचिकाकर्ता हाई कोर्ट जा सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस घटना पर राज्य के मुख्यमंत्री खुद नजर बनाए हुए है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को लोगों के गुस्से का सामना करना पडा। ज्ञातव्य है कि सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इस मामले में बयान दिया था कि बच्चों की मौतों का कारण सिर्फ ऑक्सीजन की कमी नहीं है। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों और छात्र नेताओं ने मंत्री के घर पर अंडे-टमाटर की बौछार कर दी। विरोध प्रदर्शन करने वालों में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
शिवसेना ने साधा निशाना:
गोरखपुर में हुई बच्चों की मौत को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार और योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। ज्ञातव्य है कि इस मामले में सिर्फ विपक्षी पार्टियां ही नहीं बलिक सरकार की सहयोगी पार्टियां भी योगी सरकार को कटघरे में खडा कर रही हैं।
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