नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को कथित तौर पर लंबित आपराधिक मामलों का विवरण 2014 के चुनावी हलफनामा देने में विफल रहने पर मुकदमे का सामना करने को कहा। फड़णवीस के चुनावी मामले पर फैसले से चुनावी मैदान में रहे उम्मीदवारों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। फड़णवीस ने मामले में फैसले पर पुनर्विचार करने पर जोर दिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले पर बहस के बाद 2019 के निर्णय पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए फड़णवीस को मुकदमे का सामना करने के लिए कहा। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता व अनिरुद्ध बोस भी शामिल हैं। फड़णवीस की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दृढ़ता के साथ कहा कि शीर्ष कोर्ट के समक्ष इस मामले का चुनाव मैदान के अन्य उम्मीदवारों पर दूरगामी नतीजे पडऩे की संभावना है और शीर्ष कोर्ट को अपने 1 अक्टूबर 2019 के फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
रोहतगी ने कहा कि रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट, 1951 की धारा 33 ए (1) के अनुसार, आपराधिक मामले की जानकारी प्रस्तुत करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जब तक कि ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय नहीं किए गए हों।
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